अर्ध चक्रासन पीठ दर्द में राहत देने वाले सबसे सरल और साधारण आसनो में से एक है। इसके दैनिक अभ्यास से आप अपनी पीठ और पेट की चर्बी भी कम कर सकते है, जो कि इसके मुख्य फायदे है। लेकिन इसके फायदे यहीं तक सीमित नहीं है।
इस article में हम जानेगे कि अर्ध चक्रासन क्या है, इसे कैसे किया जाता है, इसके क्या क्या फायदे है, और आपको इसका अभ्यास रोजाना क्यों करना चाहिए?
अर्ध चक्रासन -
अर्ध चक्रासन खड़े होकर करने वाले योगासनों में से एक है। आमतौर पर लोग इस आसन को अपनी योग चर्या के शुरुआत में करते है, क्योंकि यह काफी सरल और साधारण है। यह संस्कृत भाषा के दो से मिलकर बना है, जिसमे 'अर्द्ध' का अर्थ होता है "आधा" और 'चक्र' का अर्थ होता है पहिया।
इस योगासन की अवस्था में शरीर एक पहिये के समान दिखता है। क्योंकि यह सबसे सरल और साधारण आसनो में से एक है, इसलिए प्रत्येक उम्र के व्यक्ति इसका अभ्यास कर सकते है और लाभ उठा सकते है। अब इसके फायदों के बारे में गहराई से जान लेते है।
अर्ध चक्रासन के फायदे -
- अर्ध चक्रासन कमर और पेट पर जमा हुई अतिरिक्त चर्बी को दूर करने में सहायक है।
- इसके दैनिक अभ्यास से गर्दन, कमर और कंधो में दर्द से आराम मिलता है।
- यह कमर और गर्दन की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।
- यह शरीर में रक्त संचार का संचालन भी बनाये रखता है।
- यह शुगर और डाइबीटिज़ जैसे रोगो से लड़ने में सहायक है।
- यह रीढ़ की हड्डी में खींचाव उत्पन्न करता है और उसे मजबूत बनाता है।
- यह योग के सबसे सरल आसनो में से एक है इसे प्रत्येक उम्र के व्यक्ति इसका अभ्यास कर सकते है।
- इस आसन का दैनिक अभ्यास शारीरिक मुद्रा में सुधार करता है।
- इसके अभ्यास से कूल्हों में दर्द से राहत मिलती है तथा अतिरिक्त चर्बी को घटाता है।
अर्ध चक्रासन करने की विधि -
- इसके अभ्यास के लिए पैरो को कंधो के समान चौड़ा रखकर सामान्य अवस्था में खड़े हो जाइये।
- अब धीरे से श्वास अंदर ले और अपने हाथों को ऊपर की और उठाते हुए अपने सिर के पीछे ले जाए।
- अपनी अपनी निचली बॉडी को आगे की ले जाएँ और अपने हाथो को जितना पीछे और नीचे हो सके, ले जाने की कोशिश करें।
- कुछ समय श्वास को रोककर अपनी रीढ़ और पुरे शरीर में उत्पन्न खींचाव को महसूस करे।
- इस अवस्था में 20 से 30 seconds रहे के पश्चात धीरे धीरे वापस सामान्य मुद्रा में लौट आये।
- इसका पूरा लाभ उठाने के लिए इस आसन के आप 3 से 4 चक्र आसानी से कर सकते है।
सावधानियां -
- उच्च रक्तचाप, बुखार और सर दर्द से पीड़ित व्यक्ति इस आसन को न करे।
- कमर दर्द, पीठ दर्द तथा कूल्हों में दर्द की स्थिति में इस आसन को न करे।
- गर्भवती महिलाओं भी इस आसन को न करे।
- इस आसन को सुबह सुबह खाली पेट या खाने के 2 से 3 घंटे बाद ही करना चाहिए।
Frequently Asked Questions -
अर्ध चक्रासन क्या है?
यह संस्कृत भाषा के दो से मिलकर बना है, जिसमे 'अर्द्ध' का अर्थ होता है "आधा" और 'चक्र' का अर्थ होता है पहिया। अर्ध चक्रासन खड़े होकर करने वाले योगासनों में से एक है। आमतौर पर लोग इस आसन को अपनी योग चर्या के शुरुआत में करते है, क्योंकि यह काफी सरल और साधारण है। इस योगासन की अवस्था में शरीर एक पहिये के समान दिखता है।
अर्ध चक्रासन कैसे किया जाता है?
इसके अभ्यास के लिए पैरो को कंधो के समान चौड़ा रखकर सामान्य अवस्था में खड़े हो जाइये। अब धीरे से श्वास अंदर ले और अपने हाथों को ऊपर की और उठाते हुए अपने सिर के पीछे ले जाए। अपनी अपनी निचली बॉडी को आगे की ले जाएँ और अपने हाथो को जितना पीछे और नीचे हो सके, ले जाने की कोशिश करें। कुछ समय श्वास को रोककर अपनी रीढ़ और पुरे शरीर में उत्पन्न खींचाव को महसूस करे।
अर्ध चक्रासन के क्या क्या फायदे है?
ये कुछ अर्ध चक्रासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।
- यह कमर और गर्दन की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।
- यह शरीर में रक्त संचार का संचालन भी बनाये रखता है।
- यह शुगर और डाइबीटिज़ जैसे रोगो से लड़ने में सहायक है।
- यह रीढ़ की हड्डी में खींचाव उत्पन्न करता है और उसे मजबूत बनाता है।
बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।
अर्ध चक्रासन को कब और कितने समय तक किया जाना चाहिए?
इस आसन का अभ्यास सुबह सुबह खाली पेट करना उचित होता है, लेकिन खाने के 2 से 3 घंटे बाद भी इसका अभ्यास किया जा सकता है। इस आसन की मुद्रा में आपको 20 से 30 seconds तक रहना चाहिए और 3 से 4 चक्र ही काफी है।
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निष्कर्ष -
अब क्योकि ये सबसे साधारण और सरल आसनो में से एक है और इस खड़े होकर किया जाता है तो प्रत्येक उम्र का व्यक्ति इस आसन को अभ्यास आसानी से कर सकते है और करना भी चाहिए।
इस आसन का सरल और साधारण होना किसी प्रकार से इससे होने वाले फायदों को कम नहीं करता है। इसलिए इस आसन को हर किसी को रोजाना अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।
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