भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे और नुकसान। | 15+ Bhastrika Pranayama

जब हम कोई भी शारीरिक व्यायाम करते है तो हमारा शरीर oxygen की ज्यादा demand करता है, क्योकि हमारा दिल ज्यादा तेज धड़कने लगता है। ऐसे में भस्त्रिका प्राणायाम से बेहतर प्राणायाम कोई ओर है ही नहीं, जो शरीर में जल्दी ऑक्सीजन की मात्रा की पूर्ति करता हो। लेकिन इसका सिर्फ यही एक फैयदा नहीं है।

इस article में हम जानेंगे कि भस्त्रिका प्राणायाम क्या है, इसके क्या क्या फायदे है, इसे कैसे किया जाता है और आपको क्यों इस प्राणायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए?

 

भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे

 

भस्त्रिका प्राणायाम -


भस्त्रिका प्राणायाम एक महत्वपूर्ण प्राणायाम है जिसके द्वारा शरीर को जल्दी और अधिक मात्रा में प्राण-वायु उपलब्ध करायी जाती है और शरीर के अंदर से कार्बन डाई ऑक्साइड को बहार निकला जाता है।

इससे हमारा हृदय तेजी से रक्त को साफ़ करने लगता है तथा शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त का प्रवाह तेज होता है। भस्त्रिका प्राणायाम कुंडलिनी शक्ति को जगाने में बहुत सहायक है।

भस्त्रिका प्राणायाम में इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना तीनों नाड़ियां प्रभावित होती हैं। दुर्बल हृदय व रक्तचाप वाले रोगियों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।

 

bhastrika pranayama ke fayde

 

भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे -


  1. यह प्राणायाम भी शरीर में तीनो दोषो वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है।
  2. इससे शरीर के अंदर से दूषित पदार्थ निकल जाते है।
  3. इस प्राणायाम के रोजाना अभ्यास से शरीर में बल की वृद्धि होती है।
  4. यह प्राणायाम जुकाम, खांसी, दमा तथा अन्य फेफड़ों के रोगों में यह बहुत लाभदायक है।
  5. भस्त्रिका प्राणायाम फेफड़ों को शुद्ध कर उन्हें मजबूत बनाने में मदद करता है।
  6. भस्त्रिका प्राणायाम के कारण मन वश में रहता है, निद्रा और आलस्य दूर होते हैं तथा ध्यान लगाने में आसानी होती है।
  7. यह प्राणायाम अस्थमा और अन्य श्वास संबंधी रोगों से मुक्ति पाने में मदद करता है।


 

bhastrika pranayama in hindi

 

भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि -


  • सबसे पहले शांत वातावरण में पद्मासन या सिद्धासन की मुद्रा में बैठ जाए।
  • हाथो को ज्ञान मुद्रा, वायु मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा, वरुण मुद्रा और शक्ति मुद्रा किसी एक मुद्रा में रखे।
  • अब धीरे से गहरी सांस ले और छोड़े।
  • अब तेज गति से सांस लेना प्रारम्भ करे और तेज गति से सांस को छोड़े।
  • ऐसा कम से कम 20 से 30 बार तक करें और फिर सामान्य तरीके से गहरी सांस ले।
  • आप इस चक्र को किसी भी मुद्रा के साथ 5 से 6 बार तक कर सकते है।


 

 

सावधानियां -


  • उच्च रक्त चाप और हृदय सम्बंधित रोगो से पीड़ित व्यक्ति को इस प्राणायाम से परहेज करना चाहिए।
  • बुखार, जुकाम और सर दर्द की अवस्था में भी इस प्राणायाम को नहीं करना किये।
  • गर्भवती महिलाएं इस प्राणायाम को काफी धीमी गति से ही करे।
  • यह प्राणायाम सुबह सुबह खाली पेट ही करना चाहिए।


Frequently Asked Questions -


भस्त्रिका प्राणायाम क्या है?


भस्त्रिका प्राणायाम एक महत्वपूर्ण प्राणायाम है जिसके द्वारा शरीर को जल्दी और अधिक मात्रा में प्राण-वायु उपलब्ध करायी जाती है और शरीर के अंदर से कार्बन डाई ऑक्साइड को बहार निकला जाता है। भस्त्रिका प्राणायाम में इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना तीनों नाड़ियां प्रभावित होती हैं।

भस्त्रिका प्राणायाम कैसे किया जाता है?


सबसे पहले शांत वातावरण में पद्मासन या सिद्धासन की मुद्रा में बैठ जाए। हाथो को ज्ञान मुद्रा, वायु मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा, वरुण मुद्रा और शक्ति मुद्रा किसी एक मुद्रा में रखे। अब तेज गति से सांस लेना प्रारम्भ करे और तेज गति से सांस को छोड़े।
 

भस्त्रिका प्राणायाम के क्या क्या फायदे है?


ये कुछ भस्त्रिका प्राणायाम के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।

  • यह प्राणायाम भी शरीर में तीनो दोषो वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है।
  • इससे शरीर के अंदर से दूषित पदार्थ निकल जाते है।
  • इस प्राणायाम के रोजाना अभ्यास से शरीर में बल की वृद्धि होती है।
  • यह प्राणायाम जुकाम, खांसी, दमा तथा अन्य फेफड़ों के रोगों में यह बहुत लाभदायक है।


बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।

भस्त्रिका प्राणायाम को कब और कितने समय तक करना चाहिए?


भस्त्रिका प्राणायाम का पूरा फायदा उठाने के लिए आपको इसका अभ्यास सुबह सुबह खली पेट करना चाहिए और शुरुआत में इसे एक मिनट तक करे, फिर धीरे धीरे समय की अवधि को बढ़ाये। इस प्रकार आप इसके 4 से 5 चक्र रोजाना कर सकते है।


 

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निष्कर्ष -


जैसा कि मैंने बताया कि भस्त्रिका प्राणायाम भी काफी महत्वपूर्ण प्राणायाम है। इसके फायदे दुसरे किसी प्राणायाम से कम भी नहीं है। यह मन को शांत रखने और विचारों को नियंत्रण में रखने में काफी मदद करता है।

इसके अलावा इसके अन्य फायदे भी इसके रोजाना अभ्यास के साथ शरीर पर देखे जा सकते है। इसलिए आपको इस प्राणायाम को अपनी योगिक दिनचर्या का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए।

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