चक्रासन हठयोग का बहुत ही महत्वपूर्ण योगासन है। इस योगासन का दैनिक अभ्यास रीढ़, छाती, कमर, जांघो को लचीला और मजबूत बनाता है। यह योगासन प्रभावशाली तरीके से शरीर की चर्बी को कम और शरीर का वजन घटाने में सहायक है। लेकिन इस योगासन के फायदे यहीं तक सीमित नहीं है।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि चक्रासन क्या है, इसका अभ्यास कैसे किया जाता है, इसके क्या क्या फायदे है और इसका अभ्यास रोजाना क्यों करना चाहिए?
चक्रासन -
चक्रासन संस्कृत के शब्दो से मिलकर बना है, 'चक्र' जिसका अर्थ है 'पहिया' और 'आसन' जिसका अर्थ यही 'मुद्रा'। इस आसन में शरीर एक पहिये के समान दिखता है। इस आसन का अभ्यास मुख्य रूप से कमर को लचीला और मजबूत बनाने के लिए किया जाता है, हालांकि यह पूरे शरीर को लचीला और मजबूत बनाया जाता है।
चक्रासन के फायदे -
- यह आसन पेट की चर्बी कम करने में सहायक है।
- इस आसन का दैनिक अभ्यास कमर के दर्द को दूर करता है और इसे लचीला और मजबूत बनाता है।
- यह छाती, कूल्हों और पैरों की हड्डियों और मांसपेशियों को भी मजबूती प्रदान करता है।
- यह फेफड़ो से सम्बंधित रोगो जैसे अस्थमा को भी दूर करता है और फेफड़ो को अधिक ऑक्सीजन प्राप्त करवाता है।
- यह योगासन शारीरिक और मानसिक तनाव को दूर रखता है।
- इसके अभ्यास से आँखों की रौशनी बढ़ती है।
- यह योगासन पाचन अंगों और श्वसन अंगों को भी मजबूत प्रदान करता है।
- इसके रोजाना अभ्यास से शरीर में रक्त संचार बना रहता है।
- यह योगासन त्वचा को जवान रखता है।
- चक्रासन का दैनिक अभ्यास रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है।
चक्रासन करने की विधि -
इस आसन का अभ्यास करने से पहले अर्ध चक्रासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तासन और सूर्य नमस्कार का अभ्यास जरूर करे। इससे आपको चक्रासन का अभ्यास करने में काफी आसानी होगी।
- सबसे पहले जमीन पर सामान्य लेट जाएँ और गहरी सांस ले।
- अब अपने पैरो को मोड़कर अपने कूल्हों के पास रखे और अपने हाथो को अपने ऊपर उठाकर अपने कानो के पास उलटी हथेलियां करके रखे।
- अब अपने हाथो और पैरो पर वजन डालते हुए धीरे धीरे अपने शरीर को ऊपर की ओर उठाये।
- अपनी कमर, हाथो, कूल्हों और पैरों को पूरा खींचने का प्रयास करें।
- इस मुद्रा में आपका शरीर एक चक्र के रूप में दिखेगा।
- इस मुद्रा में आप 20 से 30 seconds रहने की कोशिश करें और बाद में शीरे शीरे आप इसकी समय सीमा बढा सकते है।
- इसके बाद ध्यानपूर्वक और धीरे से अपने शरीर को नीचे ले आये और सामान्य अवस्था में लेट जाएँ।
- इसके योगासन 2 से 3 चक्र ही काफी है।
- इस योगासन का अभ्यास सदैव योग मैट बिछाकर ही करे।
सावधानियां -
- गर्भावस्था और मासिक धर्म की स्थिति में इस आसन को आसन का अभ्यास न करे।
- बुजुर्ग व्यक्ति इस आसन का अभ्यास ध्यान पूर्वक और सावधानी से करे।
- शरीर के जोड़ो और माशपेशियों में किसी प्रकार की चोट होने पर इस आसन का अभ्यास न करे।
- किसी प्रकार के भी रोग से ग्रसित होने पर भी इस आसन का अभ्यास न करे।
- अपने चेहरे और कंधों बचते हुए जमीन पर लौटने की कोशिश करें।
- इस आसन का अभ्यास सुबह सुबह खाली पेट करना ही उचित है।
- इस आसन का अभ्यास सदैव योग मैट बिछाकर ही करे।
Frequently Asked Questions -
चक्रासन क्या है?
चक्रासन संस्कृत के शब्दो से मिलकर बना है, 'चक्र' जिसका अर्थ है 'पहिया' और 'आसन' जिसका अर्थ यही 'मुद्रा'। इस आसन में शरीर एक पहिये के समान दिखता है। इस आसन का अभ्यास मुख्य रूप से कमर को लचीला और मजबूत बनाने के लिए किया जाता है, हालांकि यह पूरे शरीर को लचीला और मजबूत बनाया जाता है।
चक्रासन कैसे किया जाता है?
सबसे पहले जमीन पर सामान्य लेट जाएँ और गहरी सांस ले। अब अपने पैरो को मोड़कर अपने कूल्हों के पास रखे और अपने हाथो को अपने ऊपर उठाकर अपने कानो के पास उलटी हथेलियां करके रखे। अब अपने हाथो और पैरो पर वजन डालते हुए धीरे धीरे अपने शरीर को ऊपर की ओर उठाये। अपनी कमर, हाथो, कूल्हों और पैरों को पूरा खींचने का प्रयास करें।
चक्रासन के क्या क्या फायदे है?
ये कुछ चक्रासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।
- यह योगासन शारीरिक और मानसिक तनाव को दूर रखता है।
- इसके अभ्यास से आँखों की रौशनी बढ़ती है।
- यह योगासन पाचन अंगों और श्वसन अंगों को भी मजबूत प्रदान करता है।
- इसके रोजाना अभ्यास से शरीर में रक्त संचार बना रहता है।
बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।
चक्रासन को कब और कितने समय तक किया जाना चाहिए?
इस आसन का अभ्यास करने के उचित समय सुबह सुबह का है। इसे खाली पेट ही करना चाहिए। क्योंकि यह योगासन थोड़ा कठिन है इसलिए इसे थोड़ा ध्यान से और कम समय तक करना चाहिए। इस मुद्रा में आप 20 से 30 seconds तक रह सकते और 2 से 3 चक्र ही काफी है। अगर आप माध्यम उम्र के है या बुजुर्ग है तो इस आसन का अभ्यास कम से कम समय तक ही कीजिये।
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निष्कर्ष -
यह हठयोग के महत्वपूर्ण आसनो में से एक है इसलिए इसके फायदे अनगिनत है। क्योंकि यह महत्वपूर्ण आसनो में से एक है इसलिए यह न सोचे कि इसका अभ्यास करना भी जरूरी है। यह योगासन थोड़ा मुश्किल है इसलिए मधयम उम्र वाले और बुजुर्गो को इसे ध्यानपूर्वक करना चाहिए।
लेकिन युवावस्था में यह आसन आप सूर्य नमस्कार के साथ करेंगे, तो आपको बहुत से लाभ प्राप्त होंगे।
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