च्यवनप्राश भारत के घरो में खाया जाने वाला प्राचीन खाद्य पदार्थ है जिसे अनेको जड़ी बूटियों के मिश्रण से बनाया जाता है। हालाँकि लोग सिर्फ इसे एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में ही देखते है, लेकिन इसके ओर भी बहुत से फायदे है जिनसे लोग अभी भी अनजान है।
इस article में हम जानेंगे कि च्यवनप्राश क्या है, इसके क्या क्या फायदे है, यह किन किन चीज़ो से बना होता है, यह हमारे लिए क्यों जरूरी है और आपको इसका सेवन रोजाना क्यों करना चाहिए?
च्यवनप्राश क्या है? | What is Chyawanprash?
च्यवनप्राश एक आयुर्वेदिक खाद्य पदार्थ है जिसे लगभग 36 जड़ी बूटी और आयुर्वेदिक पदार्थो से मिलाकर बनाया जाता है। च्यवनप्राश की खोज 'च्यवन' नामक ऋषि के द्वारा हुई थी लेकिन पौराणिक कथाओ के अनुसार इसकी निर्माण 'अश्विनी कुमारो' ने किया था।
ऐसा कहा जाता है कि जब ऋषि च्यवन बूढ़े हो गए थे तो उन्होंने अश्विनी कुमारो से किसी ऐसी वस्तु का आग्रह किया था, जिससे वे अपने यौवन को दोबारा प्राप्त कर सके। तब अश्विनी कुमारो ने च्यवन ऋषि को च्यवनप्राश बनाने की विधि बताई थी। इस कारण इसका नाम च्यवनप्राश पड़ा था।
च्यवनप्राश में इस्तेमाल होने वाली आयुर्वेदिक औषधि और पदार्थ इस प्रकार है।
- आंवला
- केसर
- नागकेशर
- पिप्पली
- छोटी इलायची
- दालचीनी
- शहद
- तेजपत्ता
- पाटला
- अरणी
- गंभारी
- विल्व
- नागमेथा
- पुष्करमूल
- कमलगट्टा
- सफ़ेद मूसली आदि अनेको जड़ी बूटी।
च्यवनप्राश के फायदे | Chyawanprash Benefits in Hindi -
लगभग 36 प्रकार की जड़ी बूटी से बने होने कारण च्यवनप्राश हमें अनगिनत फायदे प्रदान करता है। हम कुछ मुख्य फायदों के बारे में जानने वाले है जो कि हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है।
1. यह पाचन शक्ति में वृद्धि करता है।
च्यवनप्राश का नियमित सेवन शरीर में पाचन शक्ति में वृद्धि करता है जिससे हमारे द्वारा किया गया हर प्रकार का भोजन आसानी से पच जाता है। यह पेट को साफ रखता है जिस कारण हमें पेट के रोग नहीं होते।
इसमें उपलब्ध तेजपत्ता और नागकेसर जैसी जड़ी बूटी पाचन अंगो में सुधार करती है जिससे हम गैस्ट्रिक और एसिडिटी की समस्या से भी दूर रहते है तथा हमारा body functions भी सही तरह करती है।
2. रोग प्रति रोधक क्षमता को बढ़ाता है।
च्यवनप्राश का नियमित सेवन शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है। आपको तो पता ही है कि इन महामारी के दिनों में आजकल रोग प्रतिरोधक कितनी आवश्यकता है और इससे सिर्फ उन लोगो के बचने के chances ज्यादा होते है जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है।
च्यवनप्राश में मिले गई विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटी जैसे कि छोटी इलायची, पाटला, अरणी और गंभारी आदि शरीर में रोगप्रतिरक्षा को बढ़ावा देती है और जरूरत पड़ने पर शरीर में एंटीबाडीज भी पैदा करने में मदद करती है। ये एंटीबाडीज शरीर में विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया से लड़ती है और हमें रोगो से दूर रखती है।
3. हृदय सञ्चालन बेहतर रहता है।
च्यवनप्राश में कुछ ऐसी औषधि भी मिलाई जाती है जिससे हमारा हृदय सुचारु रूप से संचालित रहता है और शरीर में ज्यादा अंगो तक शुद्ध रक्त को पहुंचाता है। इसके साथ साथ रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा भी संतुलित रहती है।
वैज्ञानिको की कई खोज के जरिये यह स्पष्ट हो चूका है कि आंवले का नियमित सेवन हमारे हृदय की सेहत बनाये रखता है, जिससे हमारा हृदय जवान बना रहता है। इसलिए हृदय सम्बन्धी रोगो से लड़ने के लिए भी इसका सेवन जरूरी है।
4. यह दिमागी शक्ति का विकास करता है।
च्यवनप्राश ऐसी जड़ी बूटियों से मिलकर बना होता है जो ना कि हमारे पाचन अंगो के लिए जरूरी है, बल्कि इसका प्रभाव हमारे दिमाग पर भी पड़ता है। यह हमारी सोचने की शक्ति में विकास करता है और हमारी याददाश्त भी तेज रखता है, जिससे हम अपने जीवन में अच्छे से निर्णय ले पाते है।
यह दिमाग में नए neurons को बनने में भी मदद करता है जो कि हमारे मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी है। इसके कारण हमारी creative power भी बढ़ती है जिससे हम नई नई चीज़े आसानी से और जल्दी सीख जाते है। मुझे इसके फायदों में से सबसे ज्यादा जरूरी यही लगता है।
5. श्वसन प्रणाली को भी मजबूती प्रदान करता है।
उम्र बढ़ने की स्थिति में और पौषण का सही से ध्यान न रख पाने के कारण हमारे स्वसन तंत्र में अनेक बीमारियां घर कर लेती है और स्वसन प्रणाली को कमजोर कर देती है। इस कारण हमें श्वास संबधी रोगो से झूझना पड़ सकता है।
च्यवनप्राश इस प्रकार के स्वसन सम्बन्धी रोगो से लड़ने में हमारी मदद करता है और हमारे स्वसन तंत्र को भी स्वस्थ रखता है और इसे मजबूती प्रदान करता है।
6. शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा करता है।
इसमें मिश्रित विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटी शरीर म कैल्शियम की कमी नहीं होने देती और इसके नियमित सेवन से हमारी हड्डियां भी मजबूत बनती है। यह हमारे द्वारा किये गए भोजन में उपलब्ध पोषक तत्त्वो को अवशोषित करने में सहायता करता है और इन्हे शरीर के विभिन्न अंगो तक पहुंचाने में मदद करता है।
कैल्शियम भी इन्ही पोषक तत्वों में से एक है, जिसकी शरीर में कमी होने पर हमारे ऊपर दुष्प्रभाव देखे जा सकते है। इसलिए बुजुर्गों और महिलाओं के लिए तो च्यवनप्राश किसी अमृत और चमत्कारी औषधि से कम नहीं है।
7. शरीर में अतिरिक्त चर्बी को कम करता है।
जैसा कि मैंने बताया कि च्यवनप्राश के नियमित सेवन से शरीर में पाचन शक्ति में वृद्धि होती है जिस कारण हमें भोजन भली भांती पचने लगता है। इससे होता यह है कि हमारे द्वारा किये गए भोजन की कैलोरीज हमारे शरीर में जमा नहीं होती, जिससे हमारे शरीर में अतिरिक्त चर्बी भी नहीं बनती और हमारा वजन भी नियंत्रित रहता है।
इसका नियमित रूप से सेवन नयी चर्बी को नहीं बनने देता साथ ही यह शरीर में उपलब्ध चर्बी को भी कम करने में मदद करता है। इसलिए मोटापे से पीड़ित व्यक्ति और महिलाये इसका सेवन कर सकती है।
8. यह त्वचा को स्वस्थ बनाए रखता है।
हमारे मॉडर्न लाइफस्टाइल के कारण हम कुछ ज्यादा ही फ़ास्ट फ़ूड खाने लगते है क्योंकि लोग अपने स्वास्थ्य से ज्यादा अपने काम पर ध्यान देना पसंद करते है। इस कारण लोग वो सभी प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स युक्त भोजन, फल और सब्जियां नहीं खा पाते है जो हमारी त्वचा और पुरे शरीर के लिए भी जरूरी है।
इससे हमारी त्वचा बेजान और रूखी होने लगती है। इससे बचने का उपाय भी च्यवनप्राश ही है। इसका नियमित सेवन हमारी त्वचा को जवान बनाए रखता है और त्वचा से संबंधित रोगों को भी दूर रखता है।
च्यवनप्राश का सेवन किन किन लोगो को करना चाहिए?
- जिन लोगो को खाना पचाने में दिखात होती है, उन्हें च्यवनप्राश का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।
- अगर आप अपनी दिमागी क्षमता का विकास करना चाहते है, तो च्यवनपाश का सेवन आपके लिए बेहद फायदेमंद है।
- मानसिक तनाव, सिरदर्द और माइग्रेन के समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए च्यवनप्राश लाभकारी है।
- उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित रोगो के लिए उचित मात्रा में काजू का सेवन बेहद लाभकारी है।
- जिन लोगों की हड्डियां कमजोर है, उनके लिए च्यवनप्राश बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।
च्यवनप्राश का सेवन किन किन लोगो को नहीं करना चाहिए?
- च्यवनप्राश ऐसी जड़ी बूटी से मिलकर बना होता है, जो हाजमे को बढ़ाती है। इसलिए जो लोग पेट सम्बन्धी समस्या से पीड़ित है तो उन्हें च्यवनप्राश का सेवन नहीं करना चाहिए।
- च्यवनप्राश का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से दस्त की समस्या हो सकती है।
च्यवनप्राश का सेवन कितनी मात्रा में करना चाहिए?
अगर आप एक युवा है और आपका पाचन ठीक है तो आप आधा चम्मच च्यवनप्राश का सेवन रात को खाने के बाद करना चाहिए।
बुजुर्ग और गर्भवती महिलाये आधा या एक चम्मच च्यवनप्राश का सेवन रोजाना कर सकते है।
Frequently Asked Question -
च्यवनप्राश कब और कितना खाना चाहिए?
च्यवनप्राश ज्यादा मात्रा में और गलत समय पर खाने से पाचन संबंधी समस्या हो सकती है। च्यवनप्राश का सेवन सिर्फ रात को एक चम्मच खाना खाने के पश्चात करना चाहिए। इसे खाल पेट, दोपहर और सुबह खाने से परहेज करे।
सबसे अच्छा च्यवनप्राश कौन सा है?
बाजार में अनेको च्यवनप्राश के brand आ गए है, जिनमे से बहुत से brand काफी low quality का च्यवनप्राश बेचते है। उनमे से डाबर च्यवनप्राश और पतंजलि च्यवनप्राश की quality सबसे बढ़िया है, जिसे आप खरीद सकते है।
क्या च्यवनप्राश को दूध या पानी के साथ भी लिया जा सकता है?
च्यवनप्राश की तासीर गर्म होती है। इसलिए इसे रात को आप एक गिलास हलके गर्म दूध के साथ ले सकते है। च्यवनप्राश को पानी के साथ नहीं लेना चाहिए, इससे पाचन सम्बन्धी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
असली च्यवनप्राश की पहचान कैसे करे?
च्यवनप्राश की गुणवत्ता सिर्फ उसके बनाने की विधि और उचित मात्रा में जड़ी बूटी के इस्तेमाल से होती है। बाजार में उपलब्ध च्यवनप्राश के brands अपनी विधि को share नहीं करते। लेकिन आप डाबर च्यवनप्राश या पतंजलि च्यवनप्राश खरीद सकते है।
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निष्कर्ष -
36 प्रकार से ज्यादा की जड़ी बूटी और औषधि से मिलकर बने होने के कारण च्यवनप्राश के फायदे भी असीमित है। यह बुजुर्गो और महिलओ के लिए रामबाण है। यह न सिर्फ रोगो से बचाव करता है बल्कि कई रोगो से पीड़ित होने पर उनसे छुटकारा पाने में मदद करता है।
हालांकि हमें होने वाले 70 से 80 प्रतिशत रोग पेट से होते है और च्यवनप्राश का मुख्य काम ही हमारे पेट को साफ़ रखना और हमारी पाचन शक्ति और रोग पार्टी रक्षा शक्ति में वृद्धि करना है। इसमें कोई शक नहीं है कि इसका नियमित रूप से सेवन आजकल महामारी के समय कितना जरूरी है।
अगर आप अभी से इसका सेवन शुरू करते है तो आप इसके चमत्कारी फायदों से हैरान रह जाएंगे।
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