गोमुखासन के फायदे और नुकसान। | 15+ Gomukhasana Benefits

इस आसन का नियमित अभ्यास कूल्हों, घुटनों, जांघो, पैरों और हाथों को तनाव मुक्त करता है और इन्हे मजबूती प्रदान करता है। इसका अभ्यास काफी सरल और साधारण भी है।

इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि गोमुखासन क्या है, इसके क्या क्या फायदे है, इसे कैसे किया जाता है और आपको क्यों इसका अभ्यास नियमित रूप से रोजाना करना चाहिए।

 

गोमुखासन के फायदे

 

गोमुखासन (Gomukhasana) -


यह संस्कृत भाषा के दो शब्दो से मिलकर बना है, जिसमे 'गोमुख' का अर्थ है 'गाय का मुँह' और 'आसन' का अर्थ है 'मुद्रा'। इसका अभ्यास करते समय शरीर गाय के मुँह के समान लगता है। इसका दैनिक अभ्यास शरीर में जकड़न को दूर करता है। चलिए इसके फायदों के बारे में गहराई से जान लेते है।

 

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गोमुखासन के फायदे (Benefits of Gomukhasana) -


  1. इसका नियमित अभ्यास शरीर में जकड़न को दूर करता है।
  2. यह उच्च रक्तचाप को कम करने में सहायक है।
  3. इसके रोजाना अभ्यास से घुटनों, कूल्हों, जांघों और कमर पर अतिरिक्त चर्बी जमा नहीं होती।
  4. यह घुटनों, कूल्हों, जांघों और कमर को लचीला और मजबूत बनाने में सहायक है।
  5. यह शारीरिक और मानसिक तनाव को दूर करता है अरु शरीर में थकान को भी कम करता है।
  6. इस मुद्रा में बैठकर प्राणायामों का बाह्यास आसनी से किया जा सकता है।
  7. यह रीढ़ की हड्डी को मजबूती प्रदान करता है।
  8. यह योगासन पुरुषों में गुप्त रोग जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।
  9. मासिक धर्म में यह महिलाओं के लिए राहत का काम करता है।


 

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गोमुखासन करने की विधि (How to do Gomukhasana?) -


  • सबसे पहले योग मैट बिछाकर निचे पालती मारकर बैठ जाए।
  • अब अपने दायें पैर को अपने बांये पैर के नीचे से अपने बाये कूल्हे के निचे रखे।
  • अब अपने बायें पैर को ऊपर की ओर से अपने दायें कूल्हे के ऊपर रखे। (जैसा चित्र में दर्शाया गया है।)
  • अब अपने बांये हाथ को निचे से मोड़कर अपनी कमर के पीछे रखे।
  • अब अपने दाहिने हाथ को ऊपर उठाकर मोड़कर कमर के पीछे अपने बांये हाथ को पकड़ने की कोशिश करे।
  • शुरुआत में इस मुद्रा में 2 से 4 मिनट तक रहे और धीरे धीरे इसकी समय सीमा बढ़ाये।
  • इस मुद्रा में आप प्राणायाम का अभ्यास भी कर सकते है।
  • इसे सुबह सुबह करना शरीर के लिए ज्यादा लाभकारी है।
  • इस योगासन का अभ्यास सदैव योग मैट बिछाकर ही करे।


 

 

सावधानियां (Precautions) -


  • घुटने, कमर, पीठ और जोड़ो में दर्द में होने पर इस आसन का अभ्यास न करे।
  • गुप्त रोगो से पीड़ित होने पर इस आसन का अभ्यास न करे।
  • इस आसन का अभ्यास सदैव योग मैट बिछाकर ही करे।


Frequently Asked Questions -


गोमुखासन क्या है?


यह संस्कृत भाषा के दो शब्दो से मिलकर बना है, जिसमे 'गोमुख' का अर्थ है 'गाय का मुँह' और 'आसन' का अर्थ है 'मुद्रा'। इसका अभ्यास करते समय शरीर गाय के मुँह के समान लगता है। इसका दैनिक अभ्यास शरीर में जकड़न को दूर करता है।

गोमुखासन कैसे किया जाता है?


सबसे पहले योग मैट बिछाकर निचे पालती मारकर बैठ जाए। अब अपने दायें पैर को अपने बांये पैर के नीचे से अपने बाये कूल्हे के निचे रखे। अब अपने बायें पैर को ऊपर की ओर से अपने दायें कूल्हे के ऊपर रखे। अब अपने बांये हाथ को निचे से मोड़कर अपनी कमर के पीछे रखे। अब अपने दाहिने हाथ को ऊपर उठाकर मोड़कर कमर के पीछे अपने बांये हाथ को पकड़ने की कोशिश करे।

गोमुखासन के क्या क्या फायदे है?


ये कुछ गोमुखासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।

  • यह शारीरिक और मानसिक तनाव को दूर करता है अरु शरीर में थकान को भी कम करता है।
  • इस मुद्रा में बैठकर प्राणायामों का बाह्यास आसनी से किया जा सकता है।
  • यह रीढ़ की हड्डी को मजबूती प्रदान करता है।
  • यह योगासन पुरुषों में गुप्त रोग जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।


बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।

गोमुखासन को कब और कितने समय तक किया जाता है?


इस आसन को करने का उचित समय सुबह सुबह का होता है।  इसका अभ्यास खाली पेट करना सबसे लाभकारी होता है। शुरुआत में इसे 2 से 4 seconds तक ही करना चाहिए। इसके रोजाना अभ्यास के बाद आप इसकी समय सीमा बढ़ा सकते है। इसका अभ्यास सदैव योग मैट बिछाकर करे।

 

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निष्कर्ष (Conclusion) -


मुख्य रूप से यह आसन महिलाओ और पुरुषो में गुप्त रोगों का समशान करता है, लेकिन इसके अन्य फायदे भी है।  क्योकि यह सरल और साधारण है, इसलिए इसका अभ्यास प्रत्येक उम्र के व्यक्ति कर सकते है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को इस आसन का अभ्यास रोजाना करना चाहिए।

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