अगर आप ऐसे आसन को ढूंढ रहे है जो आपकी मानसकि शक्ति को बढ़ाता हो, तो इसका जवाब हलासन है। हलासन एक ऐसा आसन है जिससे गले की ग्रंथियां प्रभावित होती है, जिस कारण शरीर में संतुलन में भी विकास होता है। लेकिन इसके फायदे यहीं तक सीमित नहीं है।
इस article में हम जानेंगे कि हलासन क्या है, इसके क्या क्या फायदे और नुकसान है, इसे करते समय कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए और क्यों आपको इसका अभ्यास रोजाना करना चाहिए?
हलासन -
हलासन में शरीर का आकार किसान के द्वारा उपयोग होने वाले उपकरण "हल" जैसा होता है जिसके कारण इसका नाम हलासन है। हलासन एक हठ योगासन है जिसे आमतौर पर सर्वांगासन के बाद किया जाता है।
हमारा मस्तिष्क सुषुम्ना नाड़ी द्वारा सारे शरीर पर नियंत्रण करता है। सुषुम्ना नाड़ी सिर के पिछले भाग में स्थित लघु मस्तिष्क में से निकलकर मेरुदंड के साथ-साथ मूलाधार चक्र तक जाती है।
इस आसन से सबसे अधिक प्रभाव स्नायु मंडल तथा इसके स्रोत पर पड़ता है, जिससे शरीर के भीतरी तथा बाहर के भागों पर भली प्रकार नियंत्रण प्राप्त करने में मदद मिलती है।
इस आसन के रोजाना अभ्यास से शरीर में उपस्थित सभी चक्र प्रभावित होते हैं। इस आसन को जितना धीरे धीरे और जितने ज्यादा समय तक किया जाता है, शरीर को उतने ही लाभ मिलते है।
हलासन के फायदे -
- इसके अभ्यास से सिर दर्द,पेट व कमर दर्द में भी रहता मिलती है।
- यह आसन शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने में मदद करता है।
- हालसान रक्त का संचार तेज बनाये रखता है।
- हलासन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी का प्रत्येक हिस्सा व नाड़ियां मजबूत होती है।
- इससे गले की नसे भी प्रभावित होती हैं और शरीर संतुलन बना रहता है।
- यह किसी भी प्रकार की गर्दन की चोट से उभरने और उसे ठीक करने में सहायक है।
- इसका अभ्यास करने से भूख बढ़ती है और सुषुम्ना नाड़ी प्रभावित होती है।
- अनिद्रा और मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए हलासन सर्वोत्तम है।
- इस आसन के अभ्यास से शरीर में पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।
- इसके अभ्यास से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
हलासन करने की विधि -
- सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएँ और अपने हाथों को जमीन पर रखे।
- इसके बाद हाथो पर दबाव डालते हुए धीरे धीरे गहरी सांस ले और अपने पैरो को ऊपर की ओर उठाये।
- अब इसके मुद्रा में अपने सर पर कुछ समय के लिए नियंत्रण रखें।
- अपने अपने पैरों और कमर को उठाते हुए धीरे धीरे अपने सिर से पीछे ले जाए और जमीन पर रखे।
- अपने पावो को जितना आगे हो सके उतना आगे ले जाने की कोशिश करें और अपने पूरे शरीर में खिंचाव पैदा करे।
- कुछ समय के लिए इसी मुद्रा में रहे।
- फिर धीरे धीरे अपने पैरो पर नियंत्रण कारक ऊपर की और उठाते हुए सामान्य मुद्रा में लौट आये।
- इस आसन का अभ्यास करते समय जल्दबाज़ी ना करे और ध्यान रहे शरीर में किसी प्रकार का झटका न आये।
- करीब 2 से 3 मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास रोजाना 2 से 3 बार तक करें।
सावधानियां -
- हलासन बुजुर्गो और मौते लोगो को थोड़ा ध्यान से करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाएं इस आसन को न करे।
- अगर शरीर में किसी प्रकार की चोट है या दर्द है तो इस आसन को न करे।
- इस आसन को चटाई या मैट बिछाकर ही करे।
Frequently Asked Questions -
हलासन क्या है?
हलासन एक हठ योगासन है जिसे आमतौर पर सर्वांगासन के बाद किया जाता है। हलासन में शरीर का आकार किसान के द्वारा उपयोग होने वाले उपकरण "हल" जैसा होता है जिसके कारण इसका नाम हलासन है। इस आसन के रोजाना अभ्यास से शरीर में उपस्थित सभी चक्र प्रभावित होते हैं।
हलासन कैसे किये जाता है?
सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएँ और अपने हाथों को जमीन पर रखे। इसके बाद हाथो पर दबाव डालते हुए धीरे धीरे गहरी सांस ले और अपने पैरो को ऊपर की ओर उठाये।अपने अपने पैरों और कमर को उठाते हुए धीरे धीरे अपने सिर से पीछे ले जाए और जमीन पर रखे। अपने पावो को जितना आगे हो सके उतना आगे ले जाने की कोशिश करें और अपने पूरे शरीर में खिंचाव पैदा करे।
हलासन करने के क्या क्या फायदे है?
ये कुछ हलासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।
- इसके अभ्यास से सिर दर्द,पेट व कमर दर्द में भी रहता मिलती है।
- यह आसन शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने में मदद करता है।
- हालसान रक्त का संचार तेज बनाये रखता है।
- हलासन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी का प्रत्येक हिस्सा व नाड़ियां मजबूत होती है।
बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।
हलासन को कब और कितने समय तक करना चाहिए?
हलासन का अभ्यास सुबह सुबह खाली पेट करना सबसे उचित माना गया है। खाने के बाद या दिन के किसी और समय इस आसन को न करे। इस आसन का अभ्यास लगभग 2 से 3 मिनट तक किया जाना चाहिए और आप इसके 2 से 3 चक्र रोजाना आसानी से कर सकते है।
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निष्कर्ष -
अगर आपकी गर्दन में किसी प्रकार की चोट है या कोई दर्द की समस्या है तो इसके लिए हलासन का अभ्यास सर्वोत्तम है। हलासन के अभ्यास से आपका शरीर संतुलन में रहता है और यह शारीरिक मुद्रा को ठीक बनाए रखने में काफी मदद करता है।
इसके अनेको फायदे है और यह आसन आज के समय प्रत्येक व्यक्ति की जरूरत बन चुका है, इसलिए आपको इसे अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करना चाहिए।
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