कपालभाती प्राणायाम एक प्रकार का श्वास व्यायाम है जो आपको विभिन्न प्रकार के रोगो से दूर रखता है और आपका बचाव करता है। लेकिन इसके फायदे यहीं तक सीमित नहीं है।
इस article में हम जानेंगे कि कपालभाति प्राणायाम क्या है, इसके फायदे क्या क्या है और आपको क्यों रोजाना कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।
कपालभाति प्राणायाम -
कपालभाति प्राणायाम का विवरण महर्षि पतंजलि के योगसूत्र में दिया गया है लेकिन यह स्वामी रामदेव की वजह से भारत तथा दूसरे देशों में भी प्रसिद्ध है।
कपालभाती दो शब्दों से मिल कर बना है: कपाल का अर्थ है 'माथा' और भाति का अर्थ है 'तेज'। यह उन कुछ महत्वपूर्ण प्राणायामों में से एक है जिसके जरिये शरीर के आंतरिक अंगो को साफ़ रखा जाता है।
इसके रोजाना अभ्यास से चेहरे पर तेज तथा चमक रहती है। इसके अतिरिक्त यह फेफड़ो को मजबूत करने में भी सहायक है। इसके बाकी फायदे के बारे में जानने के लिए आगे पढते रहिये।
कपालभाति प्राणायाम के फायदे -
- इससे शरीर और मस्तिष्क में स्फूर्ति आती है।
- इसका अभ्यास करने से पाचन तंत्र में सुधार और भूख मे वृद्धि होता है।
- यह प्राणायाम शरीर में रक्त के बहाव को संतुलित रखता है तथा high blood pressure जैसे रोगो से आपको दूर रखता है।
- यह मानसिक तनाव से मुक्ति पाने में मदद करता है।
- यह प्राणायाम शरीर में वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है।
- इस प्राणायाम की मदद से फेफड़ों और श्वसन प्रणाली को साफ और मजबूत बनाया जा सकता है।
- यह खून को साफ करने में सहायक है।
- इससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
- यह शरीर और रक्त कोशिकाओं में oxygen की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है।
- कपालभाति प्राणायाम अनिद्रा को दूर करता है।
कपालभाति प्राणायाम करने की विधि -
- सबसे पहले आराम से रीढ़ को सीधा रखते हुए पद्मासन (सुखासन) की अवस्था में बैठें।
- कपालभाति प्राणायाम शुरू करने से पहले एक गहरी श्वास लें।
- अब मजबूती से सांस को पेट के अंदर से बाहर निकाले।
- एक ही सांस में शरीर के अंदर सारी हवा बाहर की ओर निकाले।
- इस प्रक्रिया काम से काम 10 बार करे और फिर अपनी सांस को संतुलित करे।
- इस प्राणायाम का ज्यादा लाभ उठाने के लिए इसे सुबह सुबह 50 से 60 बार तक करे।
सावधानियाँ -
कपालभाती का अभ्यास गर्भवती या मासिक धर्म वाली महिलाओं के लिए वर्जित है। इन अवस्थाओं में यह प्राणायाम करना शरीर के लिए हानिकारक है।
अगर आप high blood pressure, गैस की समस्या, हृदय रोग या पेट से सम्बंधित रोगो से ग्रसित है, तो कपालभाति का अभ्यास न करें।
बुखार और सर दर्द की स्तिथि में इस प्राणायाम को न करे।
Frequently Asked Question -
कपालभाति प्राणायाम क्या है?
कपालभाती दो शब्दों से मिल कर बना है: कपाल का अर्थ है 'माथा' और भाति का अर्थ है 'तेज'। जिसमे शरीर के अंदर गहरी सांस को खींचा जाता है और फिर ताकत के साथ श्वास को बाहर निकला जाता है।
कपालभाति प्राणायाम कैसे किया जाता है?
सबसे पहले रीढ़ को सीधा रखते हुए पद्मासन (सुखासन) की अवस्था में बैठें। कपालभाति प्राणायाम शुरू करने से पहले एक गहरी श्वास लें, अब मजबूती से सांस को पेट के अंदर से बाहर निकाले। एक ही सांस में शरीर के अंदर सारी हवा बाहर की ओर निकाले।
कपालभाति प्राणायाम के क्या फायदे है?
ये कुछ कपालभाति प्राणायाम के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।
- यह मानसिक तनाव से मुक्ति पाने में मदद करता है।
- यह प्राणायाम शरीर में वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है।
- इससे शरीर और मस्तिष्क में स्फूर्ति आती है।
- इसका अभ्यास करने से पाचन तंत्र में सुधार और भूख मे वृद्धि होता है।
बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।
कपालभाति प्राणायाम कब और कितने समय तक करना चाहिये?
आमतौर पर इस प्राणायाम का अभ्यास सुबह सुबह करना ही सबसे बेहतर माना जाता है लेकिन आप इसे खाने के 2 घंटे बाद भी कर सकते है। रात को इस प्राणायाम को नहीं करना चाहिए। इस प्राणायाम के एक बार में 50 से 60 चक्र तक किये जा सकते है।
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निष्कर्ष -
कपालभाति प्राणायाम उन कुछ महत्वपूर्ण प्राणायामों में से है जिसके फायदे असीमित है। अगर आप इसका रोजाना अभ्यास करते है तो निश्चित ही इसके फायदे आपको अपने ऊपर दिखे होंगे।
शरीर में खून को साफ़ रखने से बहुत सी बीमारियों को शरीर से दूर रखा जा सकता है, ऐसे में इस प्राणायाम की विशेष भूमिका सामने आती है। इसलिए आपको अपने yoga routine में इस प्राणायाम को जरूर शामिल करना चाहिए।
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