पेट की चर्बी घटाने और उसे नियंत्रित रखने के योग में आसनो की कमी नहीं है। ऐसा ही एक बैठ कर किया जाने वाला हठयोग का आसन पेट और कूल्हों की चर्बी को घटाने में सहायक है। यह पेट की चर्बी तो कम करता है ही, साथ ही पाचन शक्ति को मजबूत करता है और गैस्ट्रिक तथा एसिडिटी जैसे रोगों को भी दूर करता है। लेकिन इसके फायदे यहीं तक सीमित नहीं है।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि नावासन क्या है, इसके क्या क्या फायदे है, इसे कैसे किया जाता है और आपको इसका अभ्यास रोजाना क्यों करना चाहिए?
नावासन -
यह बैठ कर किये जाने वाले सरल और साधारण आसनो में एक है।यह दो शब्दों से मिलकर बना है, "नाव" जिसका अर्थ नाव या नौका होता है और आसन जिसका अर्थ है "मुद्रा"। इस मुद्रा में शरीर एक नाव की तरह लगता है। यह आसन मोटापा कम करने और पेट को मजबूत करने में सहायक है। चलिए इसके बाकि के फायदों को भी जान लेते हैं।
नावासन के फायदे -
- नावासन का अभ्यास पाचन शक्ति को मजबूत करता है।
- यह आसन रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि करता है।
- इस आसन के दैनिक अभ्यास पेट, गुर्दो तथा पीठ की चर्बी को आसानी से कम किया जा सकता है।
- यह कमरा दर्द को दूर करने और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है।
- इसके अभ्यास से पेट सबंधित गैस्ट्रिक और गैस जैसी समस्या दूर होती है।
- यह आसन पीएच लेवल संतुलित रखने में भी काफी सहायक है।
- यह मानसिक तनाव से मुक्ति पाने में सहायता करता है।
- इसके रोजाना अभ्यास से हमारे पेट, पीठ और कूल्हों की मांसपेशियां भी मजबूत होती है।
- महिलाओं में यह आसन थायराइड के लक्षणों को भी दूर करता है।
- यह शरीर में रक्त संचार का संतुलन बनाए रखता है।
नावासन करने की विधि -
- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल (शवासन की स्थिति में) लेट जाए और गहरी सांस ले।
- इसके पश्चात धीरे से अपने ऊपरी शरीर को 60 डिग्री के कोण तक उठाये और अपनी हथेलियों को जमीन पर ही रखे।
- अब हथेलियों का सहारा लेते हुए अपने पैरो को 30 डिग्री तक उठाये।
- कुछ seconds इस मुद्रा में रहने के बाद अब अपने पैरो को भी 60 डिग्री के कोण तक उठाये।
- अब धीरे से श्वास चढ़ते हुए अपने हाथो को भी उठाये और सामने की और केंद्रित करे। (जैसा चित्र में दिखाया गया है।)
- इस अवस्था में 30 से 40 seconds तक रहे और फिर धीरे से सामान्य अवस्था में लौट आये।
- इस आसन को करने से पहले योग मैट का इस्तेमाल जरूर करें।
- नावासन की मुद्रा में 30 से 40 seconds रहकर 3 से 4 चक्र पूरा करने की कोशिश करें।
सावधानियां -
- पेट दर्द, कमर दर्द व् जोड़ो में दर्द की स्थिति में इस आसन का अभ्यास न करे।
- रीढ़ की हड्डी में समस्या होने पर इस आसन को न किया जाए।
- हर्निया की स्थिति मे भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।
- दस्त, अनिद्रा और गर्दन में चोट होने पर भी आसन को न करे।
- गर्भावस्था और मासिक धर्म की स्थिति में इस आसन का अभ्यास न करे।
- हृदय सम्बन्धी रोग की स्थिति में भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।
- इस आसन को हमेशा मैट बिछाकर ही करना चाहिए।
- खाने के पश्चात इस आसन को न करे।
Frequently Asked Questions -
नावासन क्या है?
यह बैठ कर किये जाने वाले सरल और साधारण आसनो में एक है।यह दो शब्दों से मिलकर बना है, "नाव" जिसका अर्थ नाव या नौका होता है और आसन जिसका अर्थ है "मुद्रा"। इस मुद्रा में शरीर एक नाव की तरह लगता है। यह आसन मोटापा कम करने और पेट को मजबूत करने में सहायक है।
नावासन कैसे किया जाता है?
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाए और गहरी सांस ले। इसके पश्चात धीरे से अपने ऊपरी शरीर को 60 डिग्री के कोण तक उठाये और अपनी हथेलियों को जमीन पर ही रखे। अब हथेलियों का सहारा लेते हुए अपने पैरो को 30 डिग्री तक उठाये। कुछ seconds इस मुद्रा में रहने के बाद अब अपने पैरो को भी 60 डिग्री के कोण तक उठाये। अब धीरे से श्वास चढ़ते हुए अपने हाथो को भी उठाये और सामने की और केंद्रित करे।
नावासन के क्या क्या फायदे है?
ये कुछ नावासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।
- यह कमरा दर्द को दूर करने और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है।
- इसके अभ्यास से पेट सबंधित गैस्ट्रिक और गैस जैसी समस्या दूर होती है।
- यह आसन पीएच लेवल संतुलित रखने में भी काफी सहायक है।
- यह मानसिक तनाव से मुक्ति पाने में सहायता करता है।
बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।
नावासन को कब और कितने समय तक किया जाना चाहिए?
इस आसन का अभ्यास करने का उचित समय सुबह सुबह खाली पेट का होता है। इस आसन को खाने के बाद नहीं करना चाहिए और किसी रोग से पीड़ित होने पर भी आसन को नहीं करना चाहिए। इस आसन को 30 से 60 seconds मुद्रा में और 3 से 4 चक्र ही काफी है।
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निष्कर्ष -
इस आसन के फायदे भी बहुत है लेकिन इसे करने के लिए लोगो को सावधानिया भी बहुत बरतनी पड़ती है। यहआसन हर किसी के लिए नहीं है। सभी सावधानियां बरतने के बाद ही इस आसन का अभ्यास करना चाहिए, नहीं तो आप इसके फायदों से वर्जित रह जाएंगे और आपको नुक्सान भी हो सकता है।
इसलिए इस आसन को करने से पहले आपको अपने योग शिक्षक, डॉक्टर या अपने बारे में पूरी तरह जान लेना चाहिए कि आपके लिए यह आसन करना सही है या नहीं। सब कुछ जान लेने के बाद इसका अभ्यास किया जा सकता है और सामान्य लोग इसका आभास कर सकते है।
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