पश्चिमोत्तानासन व्यक्ति की lower back (कमर का निचला हिस्सा) के लिए रामबाण योगासन है। इस आसन के नियमित अभ्यास से कमर के निचले हिस्से में दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन इसका सिर्फ यही एक फायदा नहीं है।
इस article में हम पश्चिमोत्तानासन से जुड़े हर एक चीज़ के बारे में जानेंगे। हम जानेंगे कि पश्चिमोत्तानासन क्या है, इसे कैसे किया जाता है, इसके क्या क्या फायदे नुकसान है और इसका अभ्यास रोजाना क्यों करना चाहिए?
पश्चिमोत्तानासन -
यह आसन हठयोग के 12 मूल आसनों में से एक है जो कि बैठ कर करने वाले आसनों में से एक है। यह आसन शिव संहिता में भी वर्णित है और साथ ही अष्टांग श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है।
हठ योगियों द्वारा यह आसन शरीर में ऊर्जा के बहाव को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
पश्चिमोत्तानासन शब्द संस्कृत के मूल शब्दों से बना है "पश्चिम" जिसका अर्थ है "पीछे" या "पश्चिम दिशा", और "तीव्र खिंचाव" है और आसन जिसका अर्थ है "बैठने का तरीका"।
इसका सम्पूर्ण मतलब इस आसन में बैठ कर शरीर के बीच के हिस्से में तीव्र खिंचाव पैदा करना है ताकि शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित किया जा सके। चलिए अब पश्चिमोत्तानासन से होने वाले फायदों के बारे में जान लेते है।
पश्चिमोत्तानासन के फायदे -
- कमर के निचले में हिस्से में दर्द से राहत के लिए यह आसन रामबाण है।
- यह आसन तनाव, चिंता, सिरदर्द और थकान को कम सहायक है।
- इस आसन से उच्च रक्तचाप, अनिद्रा, और बांझपन जैसे रोगों को आसानी से को ठीक किया जा सकता है।
- इसे करने से कंधे, रीढ़ को खिंचाव उत्पन्न होता है जिससे इन हिस्से में उत्पन्न हुए दर्द से छुटकारा मिलता है।
- इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करने से पाचन में सुधार होता है और शरीर में संतुलन बढ़ता है।
- यह आसन पाचन शक्ति को मजबूत करता है जो कि भूख बढ़ाने के लिए फायदेमंद है।
- यह आसन मन को शांत करता है और तनाव से भी छुटकारा दिलाता है।
पश्चिमोत्तानासन करने की विधि -
- इस आसन को करने के लिए योग मैट पर दोनों पैरो को आगे की ओर जोड़कर बैठ जाइये और अपनी रीढ़ को सीधा रखिये।
- आपके पैर जुड़े होने किये और कमर को सीधा रखते हुए गहरी सांस ले।
- अब अपने हाथो को उठाते हुए धीरे धीरे आगे की ओर झुकते रहे।
- जहां तक संभव हो आगे की ओर झुकते रहने की कोशिश करे और श्वास छोड़ते रहे।
- जब आपके दोनों आठ आपके पैर के तलवों को छूने लगे और आपकी माथा आपके घुटने से मिल जाए, इस अवस्था में कुछ seconds के लिए रहे।
- कुछ seconds तक इसका अभ्यास करने के बाद स्वास लेते हुए वापस सामान्य अवस्था में लौट आये।
- इस आसन को करते वक्त अगर आपको ज्यादा दर्द महसूस हो तो इसे धीरे धीरे करे और कुछ ही seconds के लिए करे।
- इस आसन के आप 4 से 5 चक्र रोजाना कर सकते है।
सावधानियां -
- गर्भवती महिलाएं इस आसन को करने से बचें।
- अगर आपकी कमर में चोट है या पेट में दर्द है तो, इस आसन को न करे।
- अस्थमा और दस्त की स्थिति में भी इस आसन को न करे।
- इस आसन को खाने के बाद ना करे और सुबह के समय की इसका अभ्यास करें।
Frequently Asked Questions -
पश्चिमोत्तानासन क्या है?
यह आसन हठयोग के 12 मूल आसनों में से एक है जो कि बैठ कर करने वाले आसनों में से एक है। पश्चिमोत्तानासन शब्द संस्कृत के मूल शब्दों से बना है "पश्चिम" जिसका अर्थ है "पीछे" या "पश्चिम दिशा", और "तीव्र खिंचाव" है और आसन जिसका अर्थ है "बैठने का तरीका"।
पश्चिमोत्तानासन कैसे किया जाता है?
इस आसन को करने के लिए योग मैट पर दोनों पैरो को आगे की ओर जोड़कर बैठ जाइये और अपनी रीढ़ को सीधा रखिये। आपके पैर जुड़े होने किये और कमर को सीधा रखते हुए गहरी सांस ले। अब अपने हाथो को उठाते हुए धीरे धीरे आगे की ओर झुकते रहे। जहां तक संभव हो आगे की ओर झुकते रहने की कोशिश करे और श्वास छोड़ते रहे।
पश्चिमोत्तानासन के क्या क्या फायदे है?
ये कुछ पश्चिमोत्तासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।
- कमर के निचले में हिस्से में दर्द से राहत के लिए यह आसन रामबाण है।
- यह आसन तनाव, चिंता, सिरदर्द और थकान को कम सहायक है।
- इस आसन से उच्च रक्तचाप, अनिद्रा, और बांझपन जैसे रोगों को आसानी से को ठीक किया जा सकता है।
- यह आसन पाचन शक्ति को मजबूत करता है जो कि भूख बढ़ाने के लिए फायदेमंद है।
बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।
पश्चिमोत्तानासन को कब और किस समय किया जाना चाहिए?
इस आसन का अभ्यास करने का उचित समय सुबह सुबह होता है और इस आसन को खाली पेट ही किया जाना चाहिए। इस आसन में ध्यान पूर्वक 10 से 20 seconds तक पश्चिमोत्तासन की अवस्था में रहे और 3 से 4 चक्र ही इसके अभ्यास के लिए काफी है।
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निष्कर्ष -
निश्चित रूप से यह आसन पीठ दर्द और पाचन शक्ति के लिए लाभकारी है परन्तु हठयोग इसके महत्व और भी ज्यादा है। यह आसन शरीर में ऊर्जा संतुलन को बनाए रखता है जो कि इसके चमत्कारी फायदों में से एक है।
बुजुर्ग और 30 से 40 की उम्र वाले व्यक्तियों को इस आसन का अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए।
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