दाद एक ऐसा त्वचा समबन्धी रोग है, जो एक बार हो जाए तो बहुत ही तकलीफ देता है और आसानी से जाता भी नहीं है। यह त्वचा को तो नुक्सान पहुंचाता ही है लेकिन उसके साथ साथ यह हमे दर्द और जलन का भी एहसास कराता है।
यह इतना तकलीफदायी होता है कि हम किसी भी काम में मन नहीं लगा पाते है और ना ही कर पाते है। इसलिए इससे छुटकारा पाना अत्यंत आवशयक है।
इसलिए इस आर्टिकल में हम दाद से जुडी लगभग हर चीज़ के बारे में जानेंगे। हम जानेगे कि दाद क्या है? यह क्यों होता है? इसके क्या क्या लक्षण है? इसके होने पर क्या उपचार किये जाने चाहिए और इससे कैसे बचा जा सकता है?
दाद क्या है? | Ringworm in Hindi
दाद त्वचा से सम्बंधित एक प्रकार का संक्रामक रोग है जिसमें त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते निशान हो जाते हैं। इन निशानों में अत्यंत जलन व् खुजली भी होती है। आमतौर पर यह त्वचा की ऊपरी परत पर होता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी बड़ी ही आसानी से फैल सकता है।
यह आमतौर पर शरीर में ज्यादा पसीने वाली जगह पर ही होता है। अब क्योंकि यह एक संक्रामक रोग है इसलिए यह बड़ी ही आसानी से संक्रमित व्यक्ति की चीजें या कपड़े उपयोग करने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
आमतौर पर इसे फंगल इन्फेक्शन (fungal infection) भी कहा जाता है, लेकिन वैज्ञानिक और चिकित्सक इसे टीनिया (tinea) कहते है।
दाद शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है जिसमे हाथो के नीचे, सर पर, जांघो के बीच में कमर और पेट भी आते है। यह ठीक भी हो जाता है लेकिन सही सावधानिया नहीं बरतने पर यह वापिस भी आ जाता है। इससे छुटकारा पाना बहुत ही मुश्किल होता है।
दाद भी कई प्रकार का होता है। चलिए इनके बारे में गहराई से जानते है।
दाद के प्रकार।
दाद भी कई प्रकार का होता है, जिनके लक्षण और उपचार भी होते है। चलिए जानते है कि दाद के कितने प्रकार होते है।
1. टीनिया क्रूरीस | Tinea cruris
जांघे और नितम्बों के आस-पास और जोड़ो व् पसीने वाली जगह पर होने वाले दाद को टीनिया क्रूरीस कहते है। यह त्वचा के रगड़ खाने या फिर अत्यधिक पसीनो में खुजली करने की वजह से होता है।
2. टीनिया कैपीटीस | Tinea capitis
यह दाद सिर की त्वचा (Scalp) में होता है, जो कि ज्यादातर घने बालो में होता है। इस प्रकार का दाद सामने रूप से सर को अत्यधिक खुजाने से होता है। यह हमारी सर की त्वचा (scalp) के लिए अत्यंत हानिकारक होता है।
3. टीनिया पैडिस | Tinea Paedis
यह मुख्यतः पैरो पर होता है और गंदगी और किसी पहले से दाद के रोगी के संपर्क में आने से यह होता है।
4. टीनिया बार्बी | Tinea Barbae
गर्दन के नीचे होने वाले दाद को टीनिया बार्बी कहते है। यह हमारे बालो के काटने से होता है, और आदमियों में इसके होने के चान्सेस ज्यादा रहते है। यह मुख्यतः आदमियों की दाढ़ी में होता है।
दाद के लक्षण (Ringworm Symptoms in Hindi)
दाद कई प्रकारका होता है। इसलिए प्रत्येक दाद के लक्षण भी अलग अलग है। लेकिन प्रत्येक दाद में कुछ सामान्य लक्षण भी होते है, जो इस प्रकार है।
- दाद होने पर अत्यंत खुजली एवं जलन महसूस होती है।
- यह होने पर शरीर पर लाल रंग के चकत्ते निशान होते है और जिन पर छोटे छोटे दाने उभरने लगते है।
- यह त्वचा की ऊपर परत पर होता है और और फैलने लगता है।
- एक बार जाने पर यह दोबारा भी उभरने लगता है।
- इसे खुजाने पर अच्छा महसूस होता है और बाद में जलन महसूस होती है।
दाद होने के कारण। | Ringworm Causes in Hindi
दाद एक तरह का फंगल इन्फेक्शन होता है जो पसीने की जगह पर खुजाने से होता है। यह संक्रमण से भी फैलता है। किसी व्यक्ति द्वारा किसी संक्रमित वस्तु को छूने से भी दाद का संक्रमण फैल सकता है, जैसे कंघी, ब्रश, कपड़े, तौलिया, बिस्तर आदि। इसके अलावा यह अत्यधिक खुजाने से और शरीर की सफाई न रखने पर भी हो सकता है।
दाद का उपचार।
दाद एक ऐसा रोग है जो हमें ना चाहते हुए भी खुजली करने पर मजबूर करता है। इसी कारण इससे छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है। इसी कारण यह शरीर पर बार बार उभरता भी रहता है। लेकिन इस आर्टिकल में हम आपको उन सभी तरीको के बारे में बताने वाले है, जिनसे आप अच्छे से दाद से छुटकारा पा सकते है।
दाद से छुटकारा पाने के लिए प्रमुख उपचार इस प्रकार है।
1. नमक व् मसालेदार चीज़ो का सेवन बंद करे।
सबसे पहला काम आपको जा करना वह है नमक व् मासलेदार चीज़ो का सेवन बिलकुल ही बंद करना। क्योकि नमक व् मसालेदार चीज़े खाने से आप अपने शरीर में गर्मी डालते रहते है, जिससे आप को बार बार दाद वाली जगह पर खुजलाने का मन करता है। इससे आप खुद को रोक नहीं पाएंगे और दाद को खुजलाने लगेंगे।
अगर आप खुद पर संयम रखकर दाद को खुजलाना बंद कर देंगे, तो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे जल्द ही ठीक करने में हमारी मदद करती है।
2. ज्यादा खट्टी चीज़े खाने से भी परहेज करे।
आपको खट्टी चीज़े खाना भी बंद करना होगा। खट्टी चीज़े जैसे दही, फल और अन्य fast food जिसमे थोड़ा सा खट्टा स्वाद होता है, दाद होने पर यह हमारे लिए हानिकारक होती है। इन्हे खाने से हम अपना संतुलन खो बैठते है और बार बार दाद को खुजलाने लगते है। इसलिए हो सके तो खट्टी चीज़ो का भी परहेज करे।
3. दाद के खुजलाने पर नियंत्रण रखे।
जितना ज्यादा हो सके कोशिश करे कि आप दाद को खुजलाये नहीं। इससे आपकी सेहन शक्ति भी बढ़ेगी और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी दाद को जल्दी ठीक करने में सहायता करेगी। इसके लिए आपको थोड़े ठन्डे स्थान पर रहना है और हल्के या कम से कम कपडे पहनने है।
4. नारियल तेल का प्रयोग करे।
वैसे तो आपको नारियल तेल के इस्तेमाल से पहले doctors के द्वारा दी गयी anti fungal infection creams का इस्तेमाल ही करना है, लेकिन एक बार दाद ठीक होने पर आप दाद वाली जगह पर नारियल तेल का इस्तेमाल करे। इससे दाद के दुबारा उभरने के चान्सेस बहुत ही कम हो जाते है।
इसके अलावा नारियल का तेल त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए अच्छा माना जाता है।नारियल तेल न सिर्फ हमें खुजली में राहत प्रदान करता है बल्कि त्वचा को पोषित भी करता है और इसे नरम भी बना देता है।
5. लहसुन का करे इस्तेमाल।
चिकित्सको के अनुसार लहसुन में अजोइना (Ajoene) नाम एक प्राकृतिक एंटी फंगल एजेंट (Anti–fungal agent) होता है जो फंगल इन्फेक्शन को ठीक करने में महतवपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए आप लहसुन को पेशकर या फिर इसका तेल निकालकर दाद के चारो तरफ लगा सकते है।
दाद को जल्दी ख़तम करने के लिए आप लहसुन के पेस्ट को दाद के चारो तरफ लपेट दे और रात भर के लिए छोड़ दे। आप सिबाह उठाकर पाएंगे कि कुछ हद तक आपका दाद ठीक हो चूका है।
6. दाद दूर करने के लिए हल्दी का इस्तेमाल करे।
हल्दी एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है। इसका इस्तेमाल पुराने समय से घाव भरने व् त्वचा समबन्धी रोगो को दूर करने लिए किया जाता रहा है। यह कुछ हद तक दाद जैसे रोगो को दूर करने में भी सहायक होती है। इसलिए आप हल्दी को पानी को मिलाकर पेस्ट बना लें और रूई की सहायता से इसे दाद के स्थान पर ध्यान से लगाए।
हल्दी लगाने के पश्चात आप दाद को थोड़ा खुला छोड़ दे, इससे दाद पर हवा भी लगती रहेगी और जिससे हल्दी को का पेस्ट भी जल्दी सूख जाएगा।
7. टी ट्री आयल का करे इस्तेमाल।
दाद दूर करने के लिए टी ट्री आयल भी काफी प्रभावशाली माना जाता है। इसके आलावा यह कई प्रकार की त्वचा समस्याओं से भी राहत प्रदान करता है। आप दाद वाली जगह पर रूईं की सहायता से दिन में दो से तीन बार टी ट्री ऑयल को लगाए और इसे खुला छोड़ दे। यह काफी हद तक और प्रभावशाली तरीको से दाद को ठीक करने में मदद करेगा।
8. गुलाब जल का करे इस्तेमाल।
गुलाबजल भी त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह त्वचा को साफ़ रखने में हमारी मदद करता है। आप एक रूई के जरिये दाद वाले हिस्से पर गुलाब जाल लगाकर छोड़ दे, थोड़े समय पश्चात आप देखेंगे कि आपका दाद का प्रभाव कुछ कम हो चूका है।
ध्यान रहे। - इन सभी तरीको का इस्तेमाल आप तभी करे जब आप अपने चिकित्सक से पूरा परामर्श कर चुके हो। आपको सबसे पहले चिकित्सक द्वारा बताया गया इलाज ही आजमाना है और उनके द्वारा बताई गयी दवाइयों का ही प्रयोग करना है।
Frequently Asked Questions
दाद होने का मुख्य कारण क्या है?
दाद का मुख्य कारण पसीने वाली जगह पर खुजली करना और कपड़ो का शरीर पर बार बहार रगड़ खाना है। इसके अल्वा शरीर की साफे न रखने या किसी दाद के रोगी के संक्रमण में आने से भी दाद फ़ैल सकता है।
दाद ठीक करने के लिए क्या उपचार करे?
सबसे पहले आप डॉक्टर से सलाह ले कि आपको किस प्रकार का दाद हुआ है। इसके पश्चात आप घर पर ही रहे, हल्के कपडे पहने और डॉक्टर द्वारा सुनिश्चित आहार और दवाइयों का दृढ़ता से पालन करे।
दाद में किस चीज़ का परहेज करना चाहिए?
दाद में बहुत सी चीज़ो का परहेज करना होता है, जिसमे मुख्य रूप से से नमक, मिर्च और मसलो से बानी चीज़ो के साथ साथ, खट्टी चीज़े जैसे दही और फल भी शामिल है। बहुत से डॉक्टर बिना नमक मिर्च का भोजन करने की सलाह भी देते है।
दाद होने पर साबुन से स्नान क्यों नहीं करना चाहिए?
क्योकि साबुन में बहुत से हानिकारक केमिकल्स होते है, जो दाद वाली जगह पर बहुत ही बुरा प्रभाव डाल सकते है और हमारी त्वचा को भी मनुकसान पहुंचा सकते है। इसलिए दाद होने पर साबुन से स्नान नहीं करना चाहिए।
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निष्कर्ष।
दाद एक आमतौर पर होने वाली समस्या है, जिसे छुटकारा तो पाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए आपको बहुत ध्यान देना पड़ता है। आपको बहुत सी सावधानी बाराती होती है और इसके उपचार घर पर रहकर ही संभव है। एक बार होने पर यह दुबारा भी आ सकता है। इसलिए आपको अपनी दवाइया और प्रीकॉशन्स थोड़े लम्बे समय तक जारी रखनी पड सकती है।
हालांकि इसका इलाज आयुर्वेदिक दवाइयों और इलाजो से बेहतर होता है और होमेओपेथी दवाइयों का भी सहारा लेना ठीक ही होता है। यहां तक आपको बहुत से खाने के परहेज भी करने पड़ते है। इसलिए आपको इस रोग से छुटकारा पाने के लिए बहुत से सी सावधानी बरतनी पड़ती है।
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