सर्वांगासन हठयोग का एक महत्वपूर्ण आसन है जिसे कंधो के बल पर किया जाता है। यह आसन शरीर का संतुलन बनाये रखने में सहायक है और साथ ही कंधो और रीढ़ को मजबूत बनाये रखने का काम करता है। लेकिन इसके फायदे यहीं तक सीमित नहीं है।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि सर्वांगासन क्या है, इसे कैसे किया जाता है, इसके क्या क्या फायदे है और आपको क्यों इसका अभ्यास रोजाना करना चाहिए?
सर्वांगासन -
सर्वांगासन संस्कृत के तीन शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें 'सर्व' का अर्थ होता है 'सभी', 'अंग' का अर्थ होता है 'शरीर का अंग' और आसन का अर्थ होता है 'मुद्रा'। इस मुद्रा का अभ्यास शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है, इसलिए इसे सर्वांगासन कहा जाता है।
इस आसन में आप कंधो के बल पर शरीर को उल्टा करते है जिससे आपके शरीर में रक्त प्रवाह बना रहता है। इससे आपके कंधे और कमर दोनों मजबूत होते और शारीरिक दर्द से भी मुक्ति मिलती है। इसके फ़ायदे के बारे गहराई से जान लेते है।
सर्वांगासन के फायदे -
- इस आसन में आप उलटे कंधो के बल खड़े होते है, जिससे आपके मस्तिष्क तक उचित मात्रा में रक्त पहुंचता है।
- यह आसन दिल की मांसपेशियों को सक्रिय करता है और हृदय द्वारा किये गए शुद्ध रक्त को शरीर के अन्य भागों तक पहुंचाता है।
- यह आसन पीठ और कंधों को मजबूती प्रदान करता है।
- शरीर का नियंत्रण बांये रखने में मदद करता है।
- पेट और कूल्हों की चर्बी कम करने में सहायक है।
- इसका दैनिक अभ्यास शरीर मानसिक तनाव से मुक्ति देता है।
- इस आसन का अभ्यास कब्ज से राहत दिलाता है और पाचन शक्ति में वृद्धि करता है।
- इसके अभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
- यह योगासन थॉयरॉइड जैसे रोगो से लड़ने में भी सहायक है।
- यह आसन गर्दन के दर्द से भी राहत दिलाता है।
- शरीर में रक्त को शुद्ध रखता है और रक्त प्रवाह को बनाए रखता है।
- यह आसन त्वचा के रोगो को दूर करता है और त्वचा को भी साफ़ करता है।
सर्वांगासन करने की विधि -
- सबसे पहले पीठ के बल लेट जाए और गहरी सांस ले।
- इसके पश्चात अपनी कमर पर हाथ रखे और अपने घुटनो को मोड़कर ऊपर की और उठाये।
- अब अपने शरीर का सारा वजन अपने कंधो पर रखकर, अपने कूल्हों और पैरों को जितना ऊपर हो सके उतना ऊपर उठाये।
- अपने शरीर को बिल्कुल सीधा रखें और अपना ध्यान अपने पैरो पर केंद्रित रखें।
- इस आसन में अपनी रीढ़ को सीधा रखे और 30 से 60 seconds तक इसी मुद्रा में रहे।
- इस मुद्रा का आप 3 से 4 बार तक अभ्यास कर सकते है।
सावधानियां -
- इस आसन को गर्भावस्था, उच्च रक्तचाप, महावारी, हृदय सम्बन्धी रोग, कमर से सम्बन्धी रोग होने पर इसका अभ्यास न करे।
- इस आसन को सदैव योग मैट पर ही करें।
- शरीर में किसी प्रकार की चोट होने पर भी इस आसन का अभ्यास न करे।
- इस आसन को सुबह सुबह खाली पेट ही करें।
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Frequently Asked Questions -
सर्वांगासन क्या है?
सर्वांगासन संस्कृत के तीन शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें 'सर्व' का अर्थ होता है 'सभी', 'अंग' का अर्थ होता है 'शरीर का अंग' और आसन का अर्थ होता है 'मुद्रा'। इस मुद्रा का अभ्यास शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है, इसलिए इसे सर्वांगासन कहा जाता है। इस आसन में आप कंधो के बल पर शरीर को उल्टा करते है जिससे आपके शरीर में रक्त प्रवाह बना रहता है।
सर्वांगासन कैसे किया जाता है?
सबसे पहले पीठ के बल लेट जाए और गहरी सांस ले। इसके पश्चात अपनी कमर पर हाथ रखे और अपने घुटनो को मोड़कर ऊपर की और उठाये। अब अपने शरीर का सारा वजन अपने कंधो पर रखकर, अपने कूल्हों और पैरों को जितना ऊपर हो सके उतना ऊपर उठाये। अपने शरीर को बिल्कुल सीधा रखें और अपना ध्यान अपने पैरो पर केंद्रित रखें।
सर्वांगासन के क्या क्या फायदे है?
ये कुछ सर्वांगासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।
- इसके नियमित अभ्यास से कमर दर्द से राहत मिलती है।
- इससे रीढ़ और कमर के दर्द तथा पैर के दर्द से भी राहत मिलती है।
- यह आसन पाचन शक्ति में वृद्धि करता है और पाचन अंगों को मजबूत बनाये रखता है।
- ये पेट की चर्बी को भी कम करता है।
बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।
सर्वांगासन को कब और कितने समय तक किया जाता है?
इस आसन का अभ्यास करने का उचित समय सुबह सुबह खाली पेट का होता है। इस आसन को 30 से 60 seconds मुद्रा में और 3 से 4 चक्र ही काफी है। इस आसन का अभ्यास आपको रोजाना करना चाहिए। इस आसन को योग मैट पर ही करना चाहिए।
निष्कर्ष -
यह आसन योग के महत्वपूर्ण आसनों में से एक है। क्योंकि इस आसन में शरीर के सभी अंग प्रभावित होते है इसलिए इसके फायदे शरीर के सभी अंगों को प्राप्त होते है। यह योगासन जितना शरीर के बाह्य अंगों के फायदेमंद है उतना ही यह शरीर के आंतरिक अंगों को फायदा पहुंचाता है।
इसलिए बुजुर्गों और युवाओं को इस आसन का अभ्यास रोजाना करना चाहिए और अपनी योगचर्या में जरूर शामिल करना चाहिए।
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