सेतुबंधासन कमर का दर्द कम करने, पेट की चर्बी कम करने और वजन को नियंत्रण में रखने के सबसे बढ़िया, सरल और साधारण आसन है। इसके साथ साथ यह कूल्हों को आराम देने के लिए सबसे अच्छा योगासन है। इसे बुजुर्ग और मध्यम उम्र वाले व्यक्ति भी आसानी से कर सकते है।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि सेतुबंधासन क्या है, इसे कैसे किया जाता है, इसके क्या क्या फायदे है और आपको क्यों इसका अभ्यास रोजाना करना चाहिए और अपनी योगचर्या में शामिल करना चाहिए?
सेतुबंधासन -
सेतुबंधासन संस्कृत के तीन शब्दों से मिलकर बना है, जिसमे 'सेतु' का अर्थ है 'पुल', 'बंध' का अर्थ होता है 'बांधना' और आसन का अर्थ होता है 'मुद्रा'। इस मुद्रा में शरीर एक पुल के समान दिखता है, इसलिए इसे सेतुबंधासन कहा जाता है। यह आसन अष्टांग योग का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
यह आसन योग के सबसे सरल और साधारण आसनो में से एक है जिसे लेटकर किया जाता है। इसके दैनिक अभ्यास से पेट की चर्बी कम होती है और कमर दर्द में राहत के लिए इससे बढ़िया आसन शायद ही कोई ओर हो। इसके फायदों के बारे में गहराई से जानते है।
सेतुबंधासन के फायदे -
- इसके दैनिक अभ्यास से पेट की चर्बी कम होती है।
- यह आसन कूल्हों को लचीला और मजबूत बनाने के लिए सबसे बढ़िया आसन है।
- यह आसन रीढ़ के निचले हिस्से में दर्द और कमर दर्द में राहत दिलाता है।
- इस आसन के अभ्यास शरीर में रक्त संचार बना रहता है।
- यह आसन पेट सम्बन्धी समस्याओ से छुटकारा पाने में मदद करता है।
- इस आसन का दैनिक अभ्यास उच्च रक्तचाप की समस्या को दूर करता है।
- यह मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के तनाव कम करने में सहायक है।
- महिलाओ में मासिक धर्म में होने वाली पीड़ा में राहत का काम करता है।
- यह पाचन शक्ति के साथ साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि करता है।
सेतुबंधासन करने की विधि -
- सबसे पहले पीठ के बल साधारण लेट जाए और एक गहरी सांस ले।
- अपने हाथो को अपने कंधो और कमर के सामान रखे।
- अपने पैरो को मोड़कर अपने कूल्हों को अपने हाथो पर बल डालकर धीरे से उठाने के कोशिश करे।
- अपने हाथो और पैरो पर दबाव डालकर अपने कूल्हों को जितना ऊपर हो सके, उतना ऊपर उठाये।
- अपनी कमर को सीधा रखें और अपनी नजरों को ऊपर आसमान की ओर रखे।
- इस मुद्रा में 30 से 40 seconds तक रहे, फिर सामान्य अवस्था में लौट आये।
- इस आसन के 3 से 4 चक्र ही काफी है।
सावधानियां -
- कमर, कंधो, हाथों और घुटनों और पैरो में किसी प्रकार की चोट होने पर इस आसन को न करे।
- बुजुर्ग लोग इस आसन को सावधानीपूर्वक करें।
- इस योगासन का अभ्यास योग मैट बिछाकर करें।
- इस आसन को सुबह सुबह खाली पेट ही करें।
Frequently Asked Questions -
सेतुबंधासन क्या है?
सेतुबंधासन संस्कृत के तीन शब्दों से मिलकर बना है, जिसमे 'सेतु' का अर्थ है 'पुल', 'बंध' का अर्थ होता है 'बांधना' और आसन का अर्थ होता है 'मुद्रा'। इस मुद्रा में शरीर एक पुल के समान दिखता है, इसलिए इसे सेतुबंधासन कहा जाता है। यह आसन अष्टांग योग का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सेतुबंधासन कैसे किया है?
सबसे पहले पीठ के बल साधारण लेट जाए और एक गहरी सांस ले।अपने हाथो को अपने कंधो और कमर के सामान रखे। अपने पैरो को मोड़कर अपने कूल्हों को अपने हाथो पर बल डालकर धीरे से उठाने के कोशिश करे। अपने हाथो और पैरो पर दबाव डालकर अपने कूल्हों को जितना ऊपर हो सके, उतना ऊपर उठाये।
सेतुबंधासन के क्या क्या फायदे है?
ये कुछ सेतुबंधासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।
- यह आसन कूल्हों को लचीला और मजबूत बनाने के लिए सबसे बढ़िया आसन है।
- यह आसन रीढ़ के निचले हिस्से में दर्द और कमर दर्द में राहत दिलाता है।
- इस आसन के अभ्यास शरीर में रक्त संचार बना रहता है।
- यह आसन पेट सम्बन्धी समस्याओ से छुटकारा पाने में मदद करता है।
बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।
सेतुबंधासन को कब और किस समय तक किया जाना चाहिए?
इस आसन का अभ्यास करने का उचित समय सुबह सुबह खाली पेट का होता है। इस आसन को 30 से 60 seconds मुद्रा में और 3 से 4 चक्र ही काफी है। इस आसन का अभ्यास आपको रोजाना करना चाहिए। इस आसन को योग मैट पर ही करना चाहिए।
निष्कर्ष -
यह आसन काफी सरल और साधारण है, लेकिन इसके फायदे दुसरे योगासनों से मिलने वाले फायदों के समान ही है। क्योंकि यह काफी सरल है इसे मध्यम उम्र वाले व्यक्ति और बुजुर्ग भी आसानी से कर सकते है।
यह आसन अष्टांग योग का महत्वपूर्ण हिस्सा है इसलिए आपको इसका अभ्यास रोजाना करना चाहिए और इसे अपनी योगचर्या में जरूर शामिल करना चाहिए।
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