शीतली प्राणयाम के फायदे। | 15+ Sheetali Pranayama Benefits

शीतली प्राणायाम का अभ्यास शरीर का तापमान का संतुलन बनाये रखने के लिए किया जाता है। योगी इसका अभ्यास अपने तापमान को कम रखने के लिए करते है। इसका अभ्यास आमतौर पर ज्यादा गर्मी में किया जा सके ताकि शरीर का तापमान बढ़ने पर उसे कम किया जा सके और अपने योग के लक्ष्य  किया जा सके।

शीतली प्राणायाम का अभ्यास करने से न केवल शरीर का मुख्य तापमान कम होता है, बल्कि मन को भी शांत रखने में भूमिका निभाता है। योगियों के अनुसार यह प्राणायाम मन की शुध्दता बनाउए रखने के लिए भी जरूरी है।

इस article में हम जानेंगे कि शीतली प्राणायाम क्या है, इसके फायदे क्या क्या है और आपको क्यों रोजाना शीतली प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।

 

शीतली प्राणयाम के फायदे

 

शीतली प्राणयाम -


शीतली शब्द संस्कृत भाषा के शब्द "शीतल" से बना है जिसका अर्थ होता है ठंडा। जैसा की इसके नाम से ही पता चलता है कि प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर को ठंडा रखा जा सकता है। यह शरीर ठंडा रखने के साथ साथ मन को शांत रखने के लिए भी जरूरी है।

इस प्राणायाम का उल्लेख सर्वप्रथम योग ग्रंथ और घेरंड संहिता में भी मिलता है, जिसमे बताया गया है कि इसका अभ्यास अन्य सभी आसनो के अभ्यास के बाद किया जाना चाहिए।

यह प्राणयाम गर्मी के दिनों में अत्यंत लाभकारी शाबित हो सकता है। इसलिए जो लोग अत्यधिक गर्मी के कारण बेचैनी महसूस करते है उनके लिए इसका अभ्यास काफी फायदेमंद शाबित हो सकता है। लेकिन इसके फायदे यहीं तक सीमित नहीं है। चलिए इसके फायदों के बारे में गहराई से जानते है।

 

sheetali pranayama benefits

 

शीतली प्राणयाम के फायदे।


  1. शीतली प्राणायाम शरीर का तापमान कम रखने और उसका संतुलन बनाये रखने के लिए जरूरी है।
  2. यह प्राणयाम पूरे शरीर में स्फूर्ति, आराम और ठंडक पैदा करता है, जो हमारे स्वास्थय के लिए काफी।
  3. यह प्राणायाम रक्तचाप को कम करने में  और साथ ही रक्तचप का संतुलन बनाने में भी मदद करता है।
  4. क्योकि यह प्राणायामं शरीर को ठंडा रखता है, इसलिए यह शरीर में पित्त विकारो को संतुलित करने में सहायक होता है।
  5. शीतली प्राणायाम के अभ्यास से आप कुछ हद तक भूख पर भी नियंत्रण रख सकते है।
  6. इसके नियमित अभ्यास से सर दर्द और माइग्रेन की समस्या को दूर किया जा सकता है।
  7. सुबह सुबह शीतली प्राणायाम का अभ्यास करने से याददाश्त बढ़ती है और बुद्धि भी तेज होती है।
  8. जो लोग आलस महसूस करते है, पांच मिनट इस प्राणायाम का अभ्यास करने से वे आलस से मुक्ति पा सकते है।
  9. यह उच्च रक्तचाप, कब्ज, अपच, एसिडिटी, अल्सर, बुखार, त्वचा रोग को दूर करने में भी भूमिका निभाता है।
  10. इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से आप किसी भी प्रकार के संक्रमण से लम्बे समय तक बचे रह सकते है।
  11. यह शरीर और रक्त कोशिकाओं में oxygen की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है।
  12. जैसा की सभहि प्राणायामों की विशेषता होती है। यह भी मानसिक तनाव और अवसाद से मुक्ति पाने में मदद करता है।


 

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शीतली प्राणायाम करने की विधि।


  • सबसे पहले `पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठ जाए।
  • अब अपनी जीभ को बाहर निकलकर उसे गोल कर ले और एक नली की तरह बना ले।
  • अब जीभ के द्वारा एक लंबी साँस अंदर ले और अपने फेफड़ों को हवा से भर ले ।
  • स्वास के पश्चात जीभ को अंदर ले और अपनी नाक के द्वारा स्वास को बाहर छोड़े।
  • जब आप संन्स अंदर लेंगे तो आप थोड़ा ठंडापन महसूस करेंगे।  
  • यह शीतली प्राणयाम का एक चक्र है, आप इस तरह इसके 8 से 10 चक्र पुरे कर सकते है।
  • इस प्राणायाम का अभ्यास आप किसी भी समय कर सकते है।  



 

 

सावधानिया।


  • क्योकि यह प्राणायाम शरीर का तापमान कम करता है, इसलिए सर्दियों में इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  • हृदय और फेफड़ो के रोग से पीड़ित होने पर इस प्राणायाम का अभ्यास न करे।
  • खासी, बुखार, जुकाम और अन्य किसी रोग से पीड़ित होने पर इस प्राणायाम का अभ्यास न करे।


Frequently Asked Question –


शीतली प्राणायाम क्या है?


शीतली शब्द संस्कृत भाषा के शब्द "शीतल" से बना है जिसका अर्थ होता है ठंडा। जैसा की इसके नाम से ही पता चलता है कि प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर को ठंडा रखा जा सकता है। यह शरीर ठंडा रखने के साथ साथ मन को शांत रखने के लिए भी जरूरी है।

शीतली प्राणायाम कैसे किया जाता है?


  • सबसे पहले `पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठ जाए।
  • अब अपनी जीभ को बाहर निकलकर उसे गोल कर ले और एक नली की तरह बना ले।
  • अब जीभ के द्वारा एक लंबी साँस अंदर ले और अपने फेफड़ों को हवा से भर ले ।
  • स्वास के पश्चात जीभ को अंदर ले और अपनी नाक के द्वारा स्वास को बाहर छोड़े।
  • जब आप संन्स अंदर लेंगे तो आप थोड़ा ठंडापन महसूस करेंगे।  
  • यह शीतली प्राणयाम का एक चक्र है, आप इस तरह इसके 8 से 10 चक्र पुरे कर सकते है।



शीतली प्राणायाम के क्या फायदे है?


ये कुछ शीतली प्राणायाम के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।

  • शीतली प्राणायाम के अभ्यास से आप कुछ हद तक भूख पर भी नियंत्रण रख सकते है।
  • इसके नियमित अभ्यास से सर दर्द और माइग्रेन की समस्या को दूर किया जा सकता है।
  • सुबह सुबह शीतली प्राणायाम का अभ्यास करने से याददाश्त बढ़ती है और बुद्धि भी तेज होती है।
  • जो लोग आलस महसूस करते है, पांच मिनट इस प्राणायाम का अभ्यास करने से वे आलस से मुक्ति पा सकते है।

बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।

शीतली प्राणायाम कब और कितने समय तक करना चाहिये?


आमतौर पर किसी प्राणायाम का अभ्यास सुबह सुबह करना ही सबसे बेहतर माना जाता है लेकिन आप इसे दिन के किसी भी समय कर सकते है। आमतौर पर इसके 10 से 15 चक्र किये जा सकते है। सर्दियों में इस प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए। 


 

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निष्कर्ष।


यह प्राणायाम उन लोगो के लिए काफी उचित है, जो लोग काफी गर्मी महसूस करते है और बेचैन रहते है। इस प्राणायाम का अभ्यास गर्मियों में तो रोजाना करना चाहिए। इस प्राणयाम को करने से पित्त को भी संतुलित किया जाता है। केवल वात्त, पित्त और कफ को संतुलित रखने से अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है।

मेरा मानना है कि इस प्राणयाम का अभ्यास गर्मियों में तो सभी को करना चाहिए।

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