शीर्षासन एक बहुत ही शक्तिशाली आसन है जो मस्तिष्क में रक्त की पूर्ति करता है, गर्दन को मजबूत बनाता है और शरीर में विभिन्न परिस्थितियों में संतुलन बनाये रखने में मदद करता है। इस आसन का अभ्यास प्रायः युवा लोग करते है, क्योंकि मध्यम उम्र वाले व्यक्तियों, मोटापे से पीड़ित लोगो, बुजुर्गो और महिलाओ के थोड़ा सा कठिन है।
यह योगासन मानसिक तनाव कम करता है और शरीर के वजन को नियंत्रित रखने में भी मदद करता है। लेकिन इसके फायदे यहीं तक सीमित नहीं है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि शीर्षासन क्या है, इसे कैसे किया जाता है, इसके क्या क्या फायदे है और आपको इसका अभ्यास रोजाना क्यों करना चाहिए।
शीर्षासन -
शीर्षासन संस्कृत के दो शब्दो से मिलकर बना है, जिसमे 'शीर्ष' का अर्थ होता है 'सिर' और आसन का अर्थ होता है 'मुद्रा'। इस आसन में हम सर के बल उल्टा खड़े होने का अभ्यास करते है। इस आसन का दूसरा नाम 'सलम्बा' है जिसका अर्थ है 'संतुलित करना'। अर्थात इस आसन में हम उलटे सिर पर खड़े होकर संतुलन बनाये रखने का अभ्यास करते है।
शीर्षासन के फायदे -
- इस आसन में सिर के बल उलटे खड़े होने का अभ्यास करते है, जो हमारे सिर को मजबूत बनाता है।
- शरीर को मजबूत बनाने के साथ यह मस्तिष्क में रक्त की पूर्ति करता है।
- यह आसन मानसिक तनाव को दूर करने में सहायक है।
- इससे हमारी ध्यान लगाने की क्षमता में विकास होता है।
- यह गर्दन को मजबूत बनाता है।
- माइग्रेन की समस्या को दूर करता है।
- उलटे हाथो के बल खड़े होने में भी मदद करता है।
- शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करता है और वजन को नियंत्रित रखता है।
- शीर्षासन अनिद्रा और नींद की समस्याओं को भी दूर करता है।
- यह आसन पाचन शक्ति में वृद्धि करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है।
- यह कमर दर्द से मुक्ति दिलाता है।
शीर्षासन करने की विधि -
- सबसे पहले वज्रासन की स्थिति में बैठ जाए।
- अब अपने दोनों हाथो की उंगलियों को एक दुसरे के साथ जोड़ ले।
- अब अपने जुड़ी हुई हथेलियों को जमीन से मजबूती से सटा ले।
- अब अपने सर को अपनी हथेलियों के बीच रखकर अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए अपने पैरो को ऊपर की उठाये।
- शुरुआत में अपने पैरो को मोड़कर रखे और बाद में इन्हे धीरे धीरे ऊपर की ओर उठाने की कौशिश करे।
- आप शुरुआत इस आसन का अभ्यास दीवार के सहारे कर सकते है।
- इस आसन का अभ्यास आप 1 से 2 मिनट तक ही करे, बाद में इस आसन की समय सीमा बढ़ा सकते है।
- इस आसन के 2 से 3 चक्र की काफी है।
- थोड़ी आसानी के लिए इस आसन को निचे कपडा रखकर या तकिया रखकर भी इसका अभ्यास किया जा सकता है।
सावधानियां -
- सिर दर्द, कमर दर्द, उच्च रक्तचाप, गर्दन, सिर और कमर में किसी प्रकार की चोट होने पर इस आसन को न करे।
- सर्दी, जुकाम, हृदय और फेफड़ो से सम्बंधित रोग होने पर इस आसन को न करे।
- गर्भावस्था और मासिक धर्म की स्थिति में इस आसन का अभ्यास न करे।
- इस आसन का अभ्यास दीवार के साथ भी किया जा सकता है।
- इस आसन को सदैव योग मैट बिछाकर ही करे।
Frequently Asked Questions -
शीर्षासन क्या है?
शीर्षासन संस्कृत के दो शब्दो से मिलकर बना है, जिसमे 'शीर्ष' का अर्थ होता है 'सिर' और आसन का अर्थ होता है 'मुद्रा'। इस आसन में हम सर के बल उल्टा खड़े होने का अभ्यास करते है। इस आसन का दूसरा नाम 'सलम्बा' है जिसका अर्थ है 'संतुलित करना'। अर्थात इस आसन में हम उलटे सिर पर खड़े होकर संतुलन बनाये रखने का अभ्यास करते है।
शीर्षासन कैसे किया जाता है?
सबसे पहले वज्रासन की स्थिति में बैठ जाए। अब अपने दोनों हाथो की उंगलियों को एक दुसरे के साथ जोड़ ले। अब अपने जुड़ी हुई हथेलियों को जमीन से मजबूती से सटा ले। अब अपने सर को अपनी हथेलियों के बीच रखकर अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए अपने पैरो को ऊपर की उठाये। शुरुआत में अपने पैरो को मोड़कर रखे और बाद में इन्हे धीरे धीरे ऊपर की ओर उठाने की कौशिश करे।
शीर्षासन के क्या क्या फायदे है?
ये कुछ शीर्षासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।
- इससे हमारी ध्यान लगाने की क्षमता में विकास होता है।
- यह गर्दन को मजबूत बनाता है।
- माइग्रेन की समस्या को दूर करता है।
- उलटे हाथो के बल खड़े होने में भी मदद करता है।
बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।
शीर्षासन को कब और कितने समय तक किया जाता है?
इस आसन का अभ्यास करने के उचित समय सुबह सुबह का है। इसे खाली पेट ही करना चाहिए। क्योंकि यह योगासन थोड़ा कठिन है इसलिए इसे थोड़ा ध्यान से और कम समय तक करना चाहिए। इस मुद्रा में आप 30 से 60 seconds तक रह सकते और 2 से 3 चक्र ही काफी है। अगर आप माध्यम उम्र के है या बुजुर्ग है तो इस आसन का अभ्यास कम से कम समय तक ही कीजिये।
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निष्कर्ष -
यह आसन देखने में काफी आसान लग सकता है, लेकिन है बहुत ही मुश्किल। इसलिए इस आसन का भ्यास थोड़ा सववधानीपूर्वक करना जरूरी है। इस आसन की मदद से होने वाले फायदे असीमित है। इसलिए युवा लोगो को इस आसन का अभ्यास जरूर करना चाहिए और ज्यादा उम्र वाले व्यक्ति इस आसन को थोड़ा ध्यानपूर्वक करे।
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