आपने बहुत से योगासनों और प्राणायामों के बारे में सुना होगा, लेकिन आपको ऐसे आसन के बारे में शायद ही पता हो जिसका लाभ पूरे शरीर को मिलता है। उसका नाम सूर्य नमस्कार है। शायद ही दूसरा कोई आसन हो जो शरीर के वजन को नियंत्रण में रखें में सूर्य नमस्कार के बराबर हो।
इस article में जानेंगे कि सूर्य नमस्कार क्या है, इसे कैसे किया जाता है, इसके फायदे नुकसान क्या क्या है और क्यों आपको इसका अभ्यास रोजाना करना चाहिए?
सूर्यनमस्कार -
सूर्य नमस्कार 8 शक्तिशाली योगासन का समूह है जिनका अभ्यास 12 पंक्तिबद्ध तरीके से किया जाता है। एक व्यायाम होने के अतिरिक्त यह सूर्य देवता को अभिवादन करने की कला है। यह शरीर के साथ साथ हमारे अवचेतन मन पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि इन आसनों के जरिये सूर्य देवता का अभिवादन किया जाता है, इसलिए इस आसन को करने का उचित समय सुबह सुबह सूरज उगने के साथ ही होता है।
सूर्य नमस्कार में किये जाने वाले 12 पंक्तिबद्ध आसन इस प्रकार है।
- प्रणामासन
- हस्तोत्तानासन
- हस्तपादासन
- अश्व संचालनासन
- दण्डासना
- अष्टांग नमस्कार
- भुजंगासना
- अधोमुखस्वानासन
- अश्व संचालनासन
- हस्तपादासन
- हस्तोत्तानासन
- ताड़ासन
इन आसनों को मंत्रों के साथ भी किया जाता है।
सूर्य नमस्कार करने के फायदे -
- इसका नियामत अभ्यास करने से तंत्रिका तंत्र अच्छे से काम करता है और हमारे फेफड़े मजबूत होते है।
- सूर्य नमस्कार हमारी मांसपेशियों को लचीला और मजबूत बनाता है।
- इसके नियमित अभ्यास से शरीर में रक्त संचार का भी संतुलन बना रहता है।
- यह वजन घटाने में और उसे नियंत्रित रखने में मदद करता है।
- यह हमारी दिमागी शक्ति और स्मरण शक्ति को भी बढ़ाता है।
- इसके कारण हमारे पेट और शरीर की अतिरक्त चर्बी बहुत जल्दी नियंत्रित और कम हो जाती है, क्योकि इसके अभ्यास से सबसे ज्यादा दबाव पेट पर पड़ता है।
- इसके नियमति अभ्यास से हमारे अवचेतन मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- यह हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- यह हमारे मन को शांत रखता है और एकाग्रता शक्ति बढ़ाता है।
- यह शारीरिक शक्ति बढ़ाने और शरीर को मजबूत बनाने में काफी मदद करता है।
- इसका नियमित अभ्यास शरीर को जवान बनाए रखता है।
- यह शरीर को अनेको बीमारियों से भी दूर रखता है।
सूर्य नमस्कार करने की विधि -
जैसा कि मैंने बताया कि सूर्य नमस्कार 12 योगासनों से मिलकर बना होता है। इसलिए इसका अभ्यास करने के लिए आपको इन सभी आसनों का अभ्यास पंक्तिबद्ध तरीके से करने होगा।
तो चले जानते है इन सभी आसनों के बारे में।
1. प्रणामासन
सूर्यनमस्कार करने के लिए सबसे पहले सूरज की तरफ चेहरा करके सीधे खड़े हों जाए और अपने दोनों पैरों को मिलाएं तथा अपनी कमर को सीधा रखे। अब हाथों को अपने सीने के पास लाकर प्रणाम या नमस्कार की की अवस्था में खड़े हो जाए।
2. हस्तउत्तनासन
इसके पश्चात प्रणामासन में ही खड़े होकर अपने हाथों को सिर के ऊपर से उठाकर जितने पीछे हो सके उतना पीछे ले जाए और अपनी कमर को झुका ले।
3. पादहस्तासन
अब धीरे-धीरे सांस छोड़कर आगे की ओर झुकते हुए अपने पैरो की उंगलियों को छुए और अपने सर को अपने घुटने से मिला ले। इस आसन को पादहस्तासन कहा जाता है।
4. अश्व संचालनासन
अब धीरे से स्वास अंदर लें और सीधा पैर पीछे की और रखे जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। आपके सीधे पैर का घुटना जमीन से मिला हुआ होना चाहिए। अब दूसरे पैर को घुटने से मोड़ें और हथेलियों को जमीन पर सीधा रखकर ऊपर आसमान की तरफ देखे।
5. दंडासन
इसके पश्चात श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों और पैरों को सीधी लाइन में रखें और push up की अवस्था में आ जाये।
6. अष्टांग नमस्कार
अब स्वास लेते हुए अपनी हथेलियों, सीने, घुटनों और पैरों को जमीन से मिलकर रखे।
7. भुजंगासन
इसके पश्चात हथेलियों को जमीन पर रखकर पेट को जमीन से मिलाते हुए अपने सर और कंधो की मदद से ऊपर की और उठे और आसमान की तरफ देखे, जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है।
8. अधोमुख शवासन
इस आसन के लिए अपने पैरों को जमीन पर सीधा रखें और कूल्हे को ऊपर की ओर उठाकर सांस छोड़ते हुए कंधों को सीधा रखें और सिर को अंदर की तरफ रखें।
9. अश्व संचालनासन
अब धीरे से स्वास अंदर लें और उल्टा पैर पीछे की ओर रखे और इस पैर का घुटना जमीन से मिला हुआ होना चाहिए। अब दूसरे पैर को घुटने से मोड़े और हथेलियों को जमीन पर सीधा रखकर आसमान की ओर देखे।
10. पादहस्तासन
अब धीरे-धीरे स्वास छोड़ते हुए आगे की ओर झुके और हाथों से पैरों की उंगलियों को छुएं। ध्यान रहे कि आपका आपका सर घुटनो से मिला हुआ हो।
11. हस्तउत्तनासन
प्रणामासन की अवस्था में ही खड़े होकर अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाकर सीधा रखें और पीछे की ओर ले जाएं और कमर को पीछे की तरफ झुकाये।
12. प्रणामासन
इसके पश्चात अब आप सूरज की तरफ चेहरा करके सीधे खड़े हों जायेंगे जैसा कि आपने सबसे पहली अवस्था में किया था। अपने हाथो को अपने सीने के पास प्रणाम की अवस्था रखे।
यह सूर्य नमस्कार के 12 स्टेप्स है, जिन्हे अभ्यास से आप रोजाना सूर्य नमस्कार कर सकते है।
सावधानियां -
- इसका अभ्यास सुबह सुबह खाली पेट ही करे।
- किसी प्रकार के रोग से ग्रसित अथवा चोट से पीड़ित व्यक्ति इसका अभ्यास ना करे।
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- सेतुबंधासन के फायदे और नुकसान। 15+ Setubandhasana Benefits
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निष्कर्ष -
सूर्य नमस्कार के अनगिनत फायदे है। क्योंकि यह आठ आसनो का समूह है और इन सभी आसनो को एक पंक्तिबद्ध तरीके से किया जाता है, तो इसके फायदे भी दुसरे आसनो से कही गुना ज्यादा बढ़ जाते है। इसके साथ साथ यह कई रोगो से लड़ने में भी मदद करता है और सरीर की शक्ति और एकाग्रता में भी वृद्धि करता है।
इसलिए इस आसन का हर व्यक्ति को अभ्यास करना चाहिए और अपने जीवन में उतारना चाहिए।
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