त्रिकोणासन के फायदे और नुकसान। | 15+ Trikonasana Benefits

त्रिकोणासन चर्बी और मोटापे से परेशान लोगों के लिए सबसे आसान और उपयोगी आसन है। इसके रोजाना अभ्यास से आप पेट, कमर और जांघ की चर्बी को आसानी से कम कर सकते हो। पर इसके फायदे और गुण यही तक सीमित नहीं है।

इस article में हम जानेंगे कि त्रिकोणासन क्या है, इसके क्या क्या फायदे और नुकसान है, इसे करते वक्त किन किन बातो को ध्यान में रखना चाहिए और आपको क्यों इस आसन का अभ्यास रोजाना करना चाहिए?

 

त्रिकोणासन के फायदे

 

त्रिकोणासन (Trikonasana) -


त्रिकोणासन शब्द तीन संस्कृत शब्दों  'त्रि' जिसका अर्थ 'तीन', 'कोण जिसका अर्थ 'कोने' और 'आसन' जिसका अर्थ "मुद्रा" से मिलकर बना है। इस आसन में शरीर त्रिभुज (triangle) आकार की तरह दिखता है।

इसके नियमित अभ्यास से शरीर में अतिरिक्त चर्बी और शरीर के वजन को नियंत्रण में रखा जाता है। यह आसन हर उम्र के व्यक्ति के लिए लाभकारी है। इसका अभ्यास भी काफी सरल है साधारण है।

 

trikonasana in hindi

 

त्रिकोणासन के फायदे (Trikonasana benefits in hindi) -


  1. इसके अभ्यास से कमर और शरीर के जोड़ो में दर्द से राहत मिलती है।
  2. यह आसन कमर को लचीला बनाने में सहायक है।
  3. इस आसन के जरिये आप पैरों, टखनों और घुटनों को मजबूत बना सकते है।
  4. इसके नियमित अभ्यास से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।  
  5. यह शरीर के संतुलन को बेहतर बनाने और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है।
  6. इस आसन का नियमित अभ्यास चिंता, तनाव को कम करने में लाभदायक है।
  7. यह आसन कूल्हों, जांघों और पीठ में मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है।
  8. इसके नियमित अभ्यास करने से शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है, जो मोटापे को कम करने में सहायक है।
  9. यह आसन गैस की समस्या, अपच, एसिडिटी और पेट में अतिरिक्त फूलन से राहत दिलाने में मदद करता है।


 
trikonasana benefits

 

त्रिकोणासन करने की विधि (how to do Trikonasana?) -


  • अपनी मैट पर सामान्य खड़े हो जाए और पैरों के बीच कंधो के सामान जगह रखे।
  • अब अपने दाहिने पैर को 90 डिग्री तक मोड़ें।
  • अब अपने बाएं पैर को थोड़ा अंदर की ओर खींचें और 45 डिग्री का कोण बनाइए।
  • आपकी एड़ी एक दुसरे के समान्तर होनी चाहिए।
  • अब अपने दायें हाथ को ऊपर की ओर ले जाए, और अपने बायें हाथ को बाएं पैर के ऊपर या उसके सामने रखे।
  • अब धीरे से ऊपर की ओर देखना शुरू करें।
  • इस मुद्रा में कुछ समय रहने के बाद यह मुद्रा अपने बायें हाथ और बायें पैर से करे।
  • इस आसन को आप 2 या 3 मिनट तक लगातार भी कर सकते है।


 

 

सावधानियां (Precautions) -


  • सिर दर्द, बुखार, जुकाम और उच्च रक्तचाप की स्थिति में इस आसन को न करे।
  • कमर, गर्दन या शरीर के अन्य जोड़ो में चोट होने पर इस आसन को न करे।
  • बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं इस आसन को ध्यानपूर्वक करे।
  • इस आसन को खाली पेट ही करें।


Frequently Asked Questions -


त्रिकोणासन क्या है?


त्रिकोणासन शब्द तीन संस्कृत शब्दों  'त्रि' जिसका अर्थ 'तीन', 'कोण जिसका अर्थ 'कोने' और 'आसन' जिसका अर्थ "मुद्रा" से मिलकर बना है। इस आसन में शरीर त्रिभुज (triangle) आकार की तरह दिखता है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर में अतिरिक्त चर्बी और शरीर के वजन को नियंत्रण में रखा जाता है।

त्रिकोणासन कैसे किया जाता है?


अपनी मैट पर सामान्य खड़े हो जाए और पैरों के बीच कंधो के सामान जगह रखे। अब अपने दाहिने पैर को 90 डिग्री तक मोड़ें। अब अपने बाएं पैर को थोड़ा अंदर की ओर खींचें और 45 डिग्री का कोण बनाइए। आपकी एड़ी एक दुसरे के समान्तर होनी चाहिए। अब अपने दायें हाथ को ऊपर की ओर ले जाए, और अपने बायें हाथ को बाएं पैर के ऊपर या उसके सामने रखे।

त्रिकोणासन करने के क्या क्या फायदे है?


ये कुछ त्रिकोणासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।

  • इसके अभ्यास से कमर और शरीर के जोड़ो में दर्द से राहत मिलती है।
  • यह आसन कमर को लचीला बनाने में सहायक है।
  • इस आसन के जरिये आप पैरों, टखनों और घुटनों को मजबूत बना सकते है।
  • इसके नियमित अभ्यास से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।


बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।

त्रिकोणासन को कब और कितने समय तक करना चाहिए?


त्रिकोणासन को करने का उचित समय सुबह सुबह होता है। इसे खाली पेट ही करना चाहिए। इस आसन को लगभग 2 या 3 मिनट तक लगातार किया जा सकता है और 2 या 3 चक्र ही रोजाना अभ्यास के लिए जरूरी है।


 

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निष्कर्ष -


ये एक ऐसा आसन है जिसके जरिये शरीर में अतिरिक्त चर्बी को कम किया जा सकता है। इसलिए यह आसन अधिक मोटापे वाले व्यक्तियों के बीच अधिक प्रचलित है।

इसके अलावा इसके केस और मुख्य कारण और लाभ है जिसकी वजह से प्रत्येक उम्र के व्यक्ति इस आसन को करना फायदेमंद मानते है। इसलिए आप को भी इस आसन को अपनी योगिक दिनचर्या का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए।



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