वीरभद्रासन योग का एक महत्वपूर्ण योगासन है जिसके अभ्यास से पूरे शरीर को मजबूती होती है। इसके साथ ही यह पूरे शरीर को संतुलन भी प्रदान करता है। लेकिन इसके फायदे यहीं तक सीमित नहीं है।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि वीरभद्रासन क्या है, वीरभद्रासन कैसे किया जाता है, इसके क्या क्या फायदे है और क्यों इसका अभ्यास रोजाना करना चाहिए?
वीरभद्रासन -
इस योगासन का नाम भगवान शिव के अवतार, वीरभद्र, एक अभय योद्धा के नाम पर रखा गया। आप इसकी कहानी को बहुत से पौराणिक ग्रंथो में पढ़ सकते है। इसमें 'वीर' का अर्थ होता है 'बहादुर' और 'भद्र' का अर्थ होता है 'मित्र'। यह आसन हाथों, कंधो ,जांघो एवं कमर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है और इसके दैनिक अभ्यास से शरीर में स्फूर्ति भी आती है। इसके भाकि सभी फायदों के बारे में भी जान लेते है।
वीरभद्रासन के फायदे -
- यह पूरे शरीर में रक्त संचार बनाये रखने में मदद करता है।
- शरीर में हड्डियों और मांसपेशियों को भी मजबूती प्रदान करता है।
- इसके अभ्यास से शरीर में स्फूर्ति और तेजी आती है।
- यह आसन हाथ, पैर, कंधो, कमर और जांघों को मजबूती प्रदान करता है।
- इसके अभ्यास शरीर में संतुलन बढाता है, सहनशीलता बढ़ती है।
- यह हृदय से सम्बंधित रोगो से लड़ने में भी सहायक है।
- यह योगासन फेफड़ो को भी मजबूती प्रदान करता है।
- कंधो के जकड़न में अत्यंत प्रभावशाली है।
- यह शरीर में तनाव और कंधों के तनाव में तुरंत मुक्त करता है।
- इसकी कारण साहस, कृपा एवं शांति में वृद्धि होती है।
वीरभद्रासन करने की विधि -
- सबसे पहले ताड़ासन की मुद्रा में खड़े हो जाए और श्वास अंदर ले कर अपने ऐरो को 3 से 4 फ़ीट तक आगे की और खोल ले।
- अपने बांये पैर को 45 से 60 डिग्री अंदर की और मौडे और दाहिने पैर को बाहर की और 90 डिग्री मौडे। अब श्वास छोड़ते हुए अपने धड़ को दाहिनी और 90 डिग्री पर मौडे।
- अपनी हथेलियों को जोड़कर उन्हें धीरे धीरे ऊपर की ओर उठाये और हाथो को आसनमान की तरफ रखे।
- अपनी रीढ़ को बिलकुल सीधा रखे। अपनी बाई एड़ी को जमीन पर टिकाकर रखे और दाहिने घुटने को आगे की और मौडे, जैसा चित्र में दर्शाया गया है।
- अपने सर को उठाये और नजरो को हाथों के सामने रखे। इस मुद्रा में धीरे धीरे श्वास अंदर ले और छोडे और लगभग इस मुद्रा का 40 से 60 seconds तक अभ्यास करें।
- अब धीरे धीरे स्वास छोड़ते हुए हाथो को निचे लाये और अपने घुटने भी पीछे करते हुए सामान्य ताड़ासन की अवस्था में लौट आये।
- इस योगासन के 3 से 4 चक्र का दैनिक अभ्यास करें।
सावधानियां -
- उच्च रक्तचाप और हृदय की समस्या में इस आसन को न करे।
- शरीर की माहपेशियो, हड्डियों और जोड़ो में किसी प्रकार की चोट हो, तो तब भी इस आसन को न करे।
- बुखार, सिर दर्द और जुकाम आदि की स्थिति में इस आसन को न करे।
- इस आसन का सावधानीपूर्वक अभ्यास करें और शुरुआत में ज्यादा समय तक इसे न करे।
Frequently Asked Questions -
वीरभद्रासन क्या है?
इस योगासन का नाम भगवान शिव के अवतार, वीरभद्र, एक अभय योद्धा के नाम पर रखा गया। आप इसकी कहानी को बहुत से पौराणिक ग्रंथो में पढ़ सकते है। इसमें 'वीर' का अर्थ होता है 'बहादुर' और 'भद्र' का अर्थ होता है 'मित्र'। यह आसन हाथों, कंधो ,जांघो एवं कमर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है और इसके दैनिक अभ्यास से शरीर में स्फूर्ति भी आती है।
वीरभद्रासन कैसे किया जाता है?
सबसे पहले ताड़ासन की मुद्रा में खड़े हो जाए और श्वास अंदर ले कर अपने ऐरो को 3 से 4 फ़ीट तक आगे की और खोल ले। अपने बांये पैर को 45 से 60 डिग्री अंदर की और मौडे और दाहिने पैर को बाहर की और 90 डिग्री मौडे। अब श्वास छोड़ते हुए अपने धड़ को दाहिनी और 90 डिग्री पर मौडे।अपनी हथेलियों को जोड़कर उन्हें धीरे धीरे ऊपर की ओर उठाये और हाथो को आसनमान की तरफ रखे। अपनी रीढ़ को बिलकुल सीधा रखे। अपनी बाई एड़ी को जमीन पर टिकाकर रखे और दाहिने घुटने को आगे की और मौडे, जैसा चित्र में दर्शाया गया है।
वीरभद्रासन के क्या क्या फायदे है?
ये कुछ वीरभद्रासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।
- इसके अभ्यास शरीर में संतुलन बढाता है, सहनशीलता बढ़ती है।
- यह हृदय से सम्बंधित रोगो से लड़ने में भी सहायक है।
- यह योगासन फेफड़ो को भी मजबूती प्रदान करता है।
- कंधो के जकड़न में अत्यंत प्रभावशाली है।
बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।
वीरभद्रासन कब और कितने समय तक किया जाता है?
इस आसन का अभ्यास करने का उचित समय सुबह सुबह खाली पेट का होता है। इस आसन को 30 से 60 seconds मुद्रा में और 3 से 4 चक्र ही काफी है।अगर आप कोई एथलीट है तो इस आसन का अभ्यास आपको रोजाना करना चाहिए।
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निष्कर्ष -
यह आसन शरीर को मजबूती प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है और इसके अभ्यास से शरीर में एकाग्रता में भी वृद्धि होती है। यह साधारण आसनो में से है लेकिन इसके कई और variations भी जिनका अभ्यास भी आप कर सकते है।
इससे फायदों के लिए नहीं अपितु पूरे शरीर में संतुलन बनाये रखने के लिए आपको इस आसन का अभ्यास रोजाना करना चाहिए, और अपनी योगचर्या में इस योगासन को जरूर शामिल करना चाहिए।
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