वृक्षासन व्यक्ति के पुरे शरीर के लिए लाभकारी होता है। इसका प्रभाव हमारे पुरे शरीर पर पड़ता है। आमतौर पर हम कह सकते है कि यह आपका वजन कम करने में काफी कारगर है। इस आसन के नियमित अभ्यास से आप अपने शरीर को चुस्त और दुरुस्त रख सकते है।
इस article में हम वृक्षासन से जुडी हर एक चीज़ के बारे में जानेंगे। हम जानेंगे कि वृक्षासन क्या है, इसे कैसे किया जाता है, इसके क्या क्या फायदे नुकसान है और इसका अभ्यास रोजाना क्यों करना चाहिए?
वृक्षासन (vrikshasana)
यह आसन हठयोग के 12 मूल आसनों में से एक है जो कि बैठ कर करने वाले आसनों में से एक है। यह योग के शुरूआती आसनो में से एक है जिसे हर उम्र व्यक्ति आसानी से कर सकता है। हठ योगियों द्वारा यह आसन शरीर में ऊर्जा के बहाव को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
वृक्षासन शब्द संस्कृत के मूल शब्दों से बना है ""वृक्षा" जिसका अर्थ है "पेड़" और "आसन" जिसका अर्थ है "बैठने का तरीका"।
जैसा कि मैंने बताया कि इस आसन का प्रभाव आपके शरीर के सभी बाह्य अंगो पर पड़ता है, इसलिए यह आपके सभी बाह्य अंगो जैसे पैरो, हाथो, घुटने, कमर, गर्दन को मजबूत करने में सहायक है।
वैसे बहुत से लोग इस आसन का प्रयोग शरीर का संतुलन बनाये रखने या संतुलन का अभ्यास करने के लिए करते है। इस आसन के जरिये शरीर में खिंचाव पैदा किया जाता है ताकि शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित किया जा सके। चलिए अब वृक्षासन से होने वाले फायदों के बारे में जान लेते है।
वृक्षासन के फायदे।
- वृक्षासन पुरे शरीर में दर्द से राहत के लिए रामबाण है।
- वृक्षासन शरीर के संतुलन में सुधर का काम करता है।
- इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करने से पाचन में सुधार होता है और शरीर में संतुलन बढ़ता है।
- यह आपके सपाट पैरो को ठीक करता है जिससे आपकी body structure में सुधार करता है।
- यह आसन प्रभावशाली तरीके से एकाग्रता में बढ़ाने में सहायक है।
- यह आसन तनाव, चिंता, सिरदर्द और थकान को कम सहायक है।
- इस आसन से उच्च रक्तचाप, अनिद्रा जैसे रोगों को आसानी से को ठीक किया जा सकता है।
- इसे करने से कंधे, रीढ़ को खिंचाव उत्पन्न होता है जिससे इन हिस्से में उत्पन्न हुए दर्द से छुटकारा मिलता है।
- वृक्षासन के जरिये जांघों, टखनों और रीढ़ को मजबूत रखा जा सकता है।
- यह आसन पाचन शक्ति को मजबूत करता है जो कि भूख बढ़ाने के लिए फायदेमंद है।
- यह आसन मन को शांत करता है और तनाव से भी छुटकारा दिलाता है।
वृक्षासन करने की विधि।
- सबसे पहले अपने दोनो पैरो पर खड़े हो जाये।
- अब अपने दांए पैर को धीरे धीरे ऊपर उठाकर अपने बांये पैर के घुटने के ऊपर रख दे।
- अब धीरे से अपनी साँस लेते हुए अब दोनो हाथो को ऊपर की तरफ ले जाए और उन्हें नमस्कार की मुद्रा में जोड़े।
- अब सामने किसी एक स्थान पर नजरो को डांटे रखे और अपने पैर के जरिये अपना संतुलन बनाये रखने की कोशिश करते रहे।
- अपनी रीढ़ को सीधा रखें। अपने पुरे शरीर में खिचाव को महसूस करे और धीरे धीरे स्वास को लेते रहे और छोड़ते रहे।
- आप इस आसन को 30 से 60 सेकंड तक कर सकते है और इसके बाद अपना अगला चक्र शुरू कर सकते है।
- आप इस आसन का अभ्यास अपने दुसरे पैर के जरिये भी कर सकते है।
सावधानिया।
- पैरो और घुटनो की चोट होने पर या किसी प्रकार की समस्या होने पर इस आसन को न करे।
- उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप के रोगी कृप्या इस आसन को करे।
- सर दर्द, माइग्रेन और बुखार की स्थिति में इसका अभियस न करे।
Frequently Asked Questions
वृक्षासन क्या है?
वृक्षासन शब्द संस्कृत के मूल शब्दों से बना है ""वृक्षा" जिसका अर्थ है "पेड़" और "आसन" जिसका अर्थ है "बैठने का तरीका"। इस आसन का प्रभाव आपके शरीर के सभी बाह्य अंगो पर पड़ता है, इसलिए यह पैरो, हाथो, घुटने, कमर, गर्दन को मजबूत करने में सहायक है।
वृक्षासन कैसे किया जाता है?
- सबसे पहले अपने दोनो पैरो पर खड़े हो जाये।
- अब अपने दांए पैर को धीरे धीरे ऊपर उठाकर अपने बांये पैर के घुटने के ऊपर रख दे।
- अब धीरे से अपनी साँस लेते हुए अब दोनो हाथो को ऊपर की तरफ ले जाए और उन्हें नमस्कार की मुद्रा में जोड़े।
- अब सामने किसी एक स्थान पर नजरो को डांटे रखे और अपने पैर के जरिये अपना संतुलन बनाये रखने की कोशिश करते रहे।
- अपनी रीढ़ को सीधा रखें। अपने पुरे शरीर में खिचाव को महसूस करे और धीरे धीरे स्वास को लेते रहे और छोड़ते रहे।
वृक्षासन के क्या क्या फायदे है?
ये कुछ वृक्षासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे है।
- वृक्षासन शरीर के संतुलन में सुधर का काम करता है।
- इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करने से पाचन में सुधार होता है और शरीर में संतुलन बढ़ता है।
- यह आपके सपाट पैरो को ठीक करता है जिससे आपकी body structure में सुधार करता है।
- यह आसन प्रभावशाली तरीके से एकाग्रता में बढ़ाने में सहायक है।
बाकि फायदों के बारे में जानने के लिए पूरा article पढ़े।
वृक्षासन को कब और किस समय किया जाना चाहिए?
इस आसन का अभ्यास करने का उचित समय सुबह सुबह होता है और इस आसन को खाली पेट ही किया जाना चाहिए। इस आसन में ध्यान पूर्वक 2 से 5 minute तक वृक्षासन की अवस्था में रहे और 3 से 4 चक्र ही इसके अभ्यास के लिए काफी है।
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निष्कर्ष
वृक्षासन योग के महत्वपूर्ण आसनो में से एक है। यह देखने पर सामान्य लग सकता है, लेकिन इसके फायदों को देखते हुए किसी भी तरह इसकी तुलना सामान्य आसनो से नहीं की जा सकती। यह आसन आमतौर पर संतुलन का अभ्यास करने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके ओर भी बहुत से फायदे है, जिसके बारे में हमने ऊपर बताया है।
इस आसन का अभ्यास प्रत्येक उम्र का व्यक्ति कर सकता है। शुरुआत में इस आसन का अभ्यास आपको आसान लग सकता है, लेकिन कुछ समय पश्चात इसकी कठिनाइयाँ बढ़ती जाती है। यह बहुत से योगियों को तप करने में मदद करता है।
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